देश में चुनाव का बिगुल बजते ही सियासी गलियारे सक्रिय हो उठते हैं। ऐसे में देश में चुनावी माहौल बनना कोई बड़ी बात नहीं है। पूरे देश में तीन स्तरों पर चुनाव होते हैं - लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनाव। इन निकाय चुनावों को ही स्थानीय चुनाव कहा जाता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहाँ होने वाले निकाय चुनाव भी काफी बड़ा महत्व रखते हैं।
चुनाव के दौरान जनता के लिए सबसे ज़्यादा लुभावने होते हैं चुनावी वादे, जिनके आधार पर जनता के वोट बटोरने का प्रयास किया जाता है। इन वादों का आधार उन परेशानियों को बनाया जाता है जिनसे जनता आए दिन रूबरू होती है। इसके अलावा जनता की माँगों को भी इन मुद्दों में शुमार किया जाता है। आइए जानते हैं इस बार के निकाय चुनाव (Nikay Chunav) के प्रमुख मुद्दे कौन से हैं।
कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जो जनता की मूलभूत ज़रूरतों में शुमार होते हैं। इसलिए विकास कार्य का मुद्दा निकाय चुनाव का एहम मुद्दा होता है। टूटी फूटी सड़कों, साफ-सफाई की व्यवस्था, बिजली और पेय जल का से जुड़े मुद्दे भी निकाय चुनाव के दौरान सर चढ़कर बोलता है, तभी तो आम जनता इस सियासी मुद्दे को भी खूब तवज्जो देती है।
अमूमन सड़क, बिजली, पानी, नाली, सफाई जैसे मुद्दों को तवज्जो देते हुए स्थानीय लोग अपने लिए एक ऐसा उम्मीदवार चुनना चाहते हैं जो उनकी इस तरह की समस्याओं का समाधान कर सके। इसके साथ-साथ जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की जनता के बीच कितना सहज रूप से मिलता है एसे मुद्दे निकाय चुनाव में बहुत महत्वपूर्ण हैं। किसी भी समस्या के लिए जनप्रतिनिधि को कितनी आसानी से मिला जासकता है, ऐसा जनप्रतिनिधि जनता के मूड में बहुत आसानी से बैठ जाता है।
यूपी के निकाय चुनावों में जात - पात का मुद्दा काफी एहम है। अमूमन जात के आधार पर ही जनता द्वारा अपने प्रत्याशियों का चयन किया जाता है और फिर उन्हें भारी मतों से जिताया जाता है। यूपी के अधिकांश इलाकों में आज भी जात - पात से जुड़ा मुद्दा चुनाव के समय गरमागरम सियासी मुद्दा बन जाता है।
किसी भी देश का भविष्य बच्चे होते हैं। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि कोई भी देश भविष्य में कितनी तरक्की करेगा अगर इस बात का पता लगाना है तो वहाँ की शिक्षा व्यवस्था का मूल्यांकन कर लीजिए। आपको इस सवाल का जवाब खुद ब खुद मिल जाएगा।