विस्थापित होना हल नहीं

हिन्दूराष्ट्र नही रामराज्य | Mahanagar Pracharak Lalit Shankar Ji
Mahanagar Pracharak Lalit Shankar Ji

पिछले कुछ समय से मुजफ्फरनगर का हुसैनपुर कलां गांव देशभर में चर्चा में बना हुआ है। चर्चा का कारण है जैन समाज द्वारा भगवान चन्द्रप्रभु समोशरण जी की मूर्तियों को हुसैनपुर से मुजफ्फरनगर लाना। कभी जैन समाज के नाम से पहचान रखने वाले हुसैनपुर कलां से आज न केवल जैन समाज विस्थापित हुए बल्कि जैन पंथ के आठवें तीर्थांकर भगवान चन्द्रप्रभु को भी विस्थापित होना पड़ा है।

विस्थापित होने का कारण है गाँव में मुस्लिम आबादी का बढ़ना। हुसैनपुर गांव में जब हिन्दू समाज अधिक संख्या में था, तब वँहा रहने वाले मुस्लिम बड़ी-ही निडरता व स्नेहपूर्वक अपना जीवन जी रहे थे। लेकिन जैसे ही हुसैनपुर कलां में मुस्लिम आबादी बढ़ी तो धीरे-धीरे वँहा के हिन्दू गांव छोड़कर जाने लगे। एक समय ऐसा आया कि जब गांव में हिन्दू धर्म के जैन पंथ के भगवान चन्द्रप्रभु जी ही रह गए। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि मुस्लिम आबादी बढ़ने पर अपने ही गांव से भागना पड़ेगा।

बड़ी सोचनीय बात है कि मुस्लिम आबादी बढ़ने के कारण गांव छोड़कर आये जैन पंथ को मानने वाले लोंगो ने भगवान चन्द्रप्रभु को भी हुसैनपुर से लाने की योजना बनाई। ढोल, नगाड़े व बैंड-बाजे के साथ बड़ी खुशियां मनाते हुए भगवान चन्द्रप्रभु को हुसैनपुर से बुढ़ाना लाया गया। भगवान को लाने के लिए कई जनपद से जैन समाज के बन्धु एकत्रित हुए।
विचारणीय बात है कि इतनी खुशियां किस लिए मनाई जा रही है?

ये तो जगज़ाहिर है कि अपने ही घर से विस्थापित होने पर कोई खुशियां नही मनाता बल्कि विस्थापित होने के कारणों की समीक्षा कर अपने पुनर्स्थापना के लिए प्रयास करता है।अपने ही देश में अपने ही गांव से भगवान को विस्थापित होना पड़े, उसके लिए उसके मानने वाले लोगों की निष्ठा पर प्रश्न खड़ा होता है। मुस्लिम आबादी बढ़ने पर हुसैनपुर कलां से विस्थापित हुए जैन समाज को समझना चाहिए कि अगर आगामी समय मे बुढ़ाना में भी मुस्लिम आबादी बढ़ गई तो क्या वे वहां से भी विस्थापित होएंगे?

किसी भी समस्या से भागना उसका हल नही होता बल्कि सामना करने से ही हल निकलता है। इतिहास गवाह है जहाँ-जहाँ मुस्लिम आबादी बढ़ी है वहां से ग़ैर-मुस्लिमों को भागना ही पड़ा है। कश्मीर में यही हुआ। आज भी वँहा से विस्थापित हुए हिन्दू भटक रहे हैं। उनके विस्थापित होने का कारन भी सामना नहीं करना ही था। खुशियां मनाकर भगवान चन्द्रप्रभु को विस्थापित करना भगवान को अच्छा नहीं लगा होगा।

मुसलमानों की बढ़ती आबादी धीरे-धीरे बड़ी समस्या बनती जा रही है। जहाँ-जहाँ लोग इससे भाग रहे हैं वहां-वहां ये समस्या और पैर फ़ैला रही है और जहाँ-जहाँ लोग इसका सामना कर रहे है वहां पर ये रुकने लगी है।

भगवान का विस्थापित होना खुशी की बात नही बल्कि दुःख, पीड़ा तथा गुस्से की बात है। देश के समस्त ग़ैर-मुस्लिम लोगों को हुसैनपुर कलां की घटना से सीख लेनी चाहिए और प्रण करना चाहिए कि कुछ भी हो पर वे अपनी जन्मभूमि को कभी नही छोड़ेंगे। भगवान राम ने भी लक्ष्मण से कहा था कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।

(ललित शंकर गाजियाबाद)

(नोट – इस लेख को लिखने का सम्पूर्ण श्रेय महानगर प्रचारक ललित शंकर जी को जाता है।)

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