जिन्हें जननायक के नाम से जाना जाता है , एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। इन्होने 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक भारत के 8वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
“जो अस्तित्ववान होता है वह कभी शून्य नहीं हो सकता” उक्त पंक्तियाँ चंद्रशेखर जी के व्यक्तित्व पर सटीक बैठती है। चंद्रशेखर जी का व्यक्तित्व बहुआयामी प्रतिभा का धनी था। पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी नेता चंद्रशेखर सिंह की आज 17 वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। 8 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की पुण्यतिथि है। उनको याद करते हुए एक ऐसे राजनीतिक शख्सियत का चेहरा सामने आता हैं, जो बिना राजनीतिक लाभ हानि की परवाह किए, देशहित में दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए देश के सामने अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं।
1984 में बलिया से चुनाव हारने के बाद कई प्रस्तावों के बावजूद वह कहीं दूसरी जगह से चुनाव नहीं लड़े, न पिछले दरवाजे से संसद में पहुंचे। 1985 से 1990 के बीच सक्रिय राजनीति के अलावा चंद्रशेखर ने जो सृजनात्मक कार्य किये हैं, वे उनके संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति के ही परिणाम है। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर राम मनोहर लोहिया के साथ शुरू किया था। बलिया उनकी जन्म और कर्मभूमि थी। वह यहां से 8 बार सांसद रहे थे।
नाम | चंद्रशेखर सिंह |
जन्म तिथि | 17 अप्रैल 1927 |
जन्म स्थान | इब्राहिमपट्टी जिला बलिया (उ0 प्र0) |
पिता | श्री सदानंद सिंह |
माता | श्रीमती द्रौपदी देवी |
पत्नि | श्रीमती द्विजा देवी |
बच्चे | 2 बेटे (पंकज सिंह, नीरज सिंह) |
व्यवसाय | राजनीति |
मृत्यु | 8 जुलाई 2007 (नई दिल्ली ) |
चंद्रशेखर युवा तुर्क के नाम से मशहूर थे। ऐसा कहा जाता है कि जासूसी के आरोपों के चलते चंद्रशेखर की सरकार गिरी थी। हालांकि, सियासी जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस के सपोर्ट से वो प्रधानमंत्री बने थे। इस दौरान जब कांग्रेस का हस्तक्षेप सरकार में बढ़ने लगा तो उन्होंने इसका विरोध किया। कांग्रेस की ओर से आरोप लगाए गए कि चंद्रशेखर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जासूसी कराई। इन्हीं आरोपों के चलते कांग्रेस नेतृत्व ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। जैसे ही सरकार अल्पमत में आई तो चंद्रशेखर ने बिना देर किए पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। नई सरकार बनने तक चंद्रशेखर को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर कामकाज देखना पड़ा। इस तरह से वो करीब 8 महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। इसके अलावा वह इकलौते ऐसे नेता थे जो न किसी सरकार में मंत्री बने ना मुख्यमंत्री, सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे।
राजपूत परिवार में जन्मे चंद्रशेखर ने छात्र राजनीति से ही अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी। बलिया (Ballia) उनका गढ़ था। इस संसदीय सीट से वह 8 बार चुनकर संसद पहुंचे थे। सीधे-सरल स्वभाव के चंद्रशेखर को अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करने के लिए जाना जाता था। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल बहुत छोटा था, तब राजनीतिक हालात बहुत अस्थिरता वाले थे। चंद्रशेखर लंबे समय तक बीमार से जूझते रहे। उनका निधन 8 जुलाई, 2007 को दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में हुआ था।
आज 8 जुलाई को भारत के 8वें प्रधानमंत्री ‘चन्द्रशेखर’ को उनकी पुण्यतिथि पर ultranewstv की ओर से नमन!