2023 में सावन होगा मन भावन और महीने होंगे 13- Adhik Mass 2023

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= 2023 में सावन होगा मन भावन और महीने होंगे 13- Adhik Mass 2023

हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2023 बेहद खास होने वाला है। इस साल भगवान शिव की विशेष कृपा बरसने वाली है। इस साल में 12 महीने होने के बजाए 13 महीने होंगे। दरअसल इस साल भगवान शिव का प्रिय महीना सावन एक नहीं बल्कि दो महीने तक रहेगा। इसके पीछे की मुख्य वजह अधिक मास है। ज्योतिषियों के मतानुसार एक साल में दो महीने सावन के होने का यह योग 19 साल बाद बनने जा रहा है। ऐसा अधिकमास के आगमन की वजह से होगा।

क्या है अधिक मास ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार जब साल में एक और महीना जुड़ जाता है तब उस महीने को अधिक मास कहा जाता है। अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक तीन वर्ष के बाद अधिक मास का आगमन होता है। कौन सा महीना साल में दो बार आने वाला है इसका पता ज्योतिष गणना के आधार पर लगाया जाता है।

अधिक मास का वैज्ञानिक आधारित
हिन्दू पंचांग में चन्द्रमा की गति को आधार मानकर 12 महीने निर्धारित किए गए हैं। सूर्य कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है। जबकि हिन्दू पंचांग में चन्द्रमा का एक वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। सूर्य और चन्द्रमा की गति द्वारा निर्धारित इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है। ये 11 दिनों का अंतर तीन वर्षों में एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अतिरिक्त महीने को ही अधिक मास/ मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है।

पुरुषोत्तम मास कहने का आधार
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को यह महीना अत्यंत प्रिय है। भगवान विष्णु का एक नाम पुरुषोत्तम भी है। इसलिए इस महीने को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।

lord vishnu 2023 में सावन होगा मन भावन और महीने होंगे 13- Adhik Mass 2023

मलमास कहने के पीछे ये है मान्यता
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस महीने में किसी ही तरह का शुभ काम नहीं किया जाता। इस मास को अतिरिक्त होने के कारण मलिन माना जाता है। इसलिए इस महीने के दौरान हिन्दू धर्म के विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण संस्कारों जैसे नामकरण, विवाह, ग्रह प्रवेश, यज्ञोपवीत, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी इत्यादि प्रतिबंधित होते हैं। मलिन माने जाने के कारण ही इस मास को मल मास कहा जाता है।

क्या है महत्व ?
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रत्येक जीव पांच तत्वों के मिश्रण से बना है जिनमें जल, अग्नि, आकाश, वायु और पृथ्वी सम्मिलित है। इस महीने में साधक ध्यान, योग और धार्मिक कार्यों को करके अपने शरीर में इन पांच तत्वों के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करते हैं। इन तमाम प्रयासों से व्यक्ति अपनी आत्मा को निर्मल करता है। इस तरह हर तीन साल बाद आने वाले इस माह में व्यक्ति अपने आप को नई ऊर्जा से भरने का प्रयास करता है।

अधिक मास में करें ये कार्य
अधिक मास के दौरान व्रत-उपवास, पूजा-पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के साथ ही श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। यह माह भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए इस माह में भगवान विष्णु के नाम का जाप करना ना भूलें।

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।

Total
2
Shares
Previous Post
पीने की बजाए बहाई गई कोल्डड्रिंक

पीने की बजाए बहाई गई कोल्डड्रिंक

Next Post
2023 के जश्न में ट्रेंडिंग रहने वाले हैं ये गाने - Party Songs 2023

2023 के जश्न में ट्रेंडिंग रहने वाले हैं ये गाने – Party Songs 2023

Related Posts
Total
2
Share
राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल राजस्थान के मशहूर व्यंजन राजस्थान के मशहूर गायक और गायिकाएं IPL में अभी तक के सबसे उन्दा खिलाड़ी क्रिकेट इतिहास का सबसे लंबे छक्के भारत की सबसे लंबी नदियाँ भारत में सबसे ऊंची मूर्तियां नवरात्रि के 9 दिन, 9 कलर, 9 आउटफिट्स घर पर हरा धनिया उगाने के आसान तरीके भारत के सबसे ऊँचे टीवी टावर