यह माँ काली का सबसे पुराना मंदिर कोलकाता में कालीघाट काली मंदिर से प्रेरित होकर बनाया गया। इसकी औपचारिक स्थापना सन् 1935 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को प्रथम अध्यक्ष बनाकर हुई।
नेहरू प्लेस से कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन के बीच स्थित टेराकोटा बंगाली वास्तुकला शैली से निर्मित चित्तरंजन पार्क काली मंदिर का विशाल मंदिर देखा जा सकता है। यहाँ हर वर्ष दुर्गा-पूजा के अवसर पर पंडाल सजाया जाता है।
भक्तों के बीच पश्चिम दिल्ली कालीबाड़ी के नाम से जानी जाने वाला इस कालीबाड़ी का प्रमुख गर्भग्रह जिसमे माँ काली विराजमान हैं, प्रथम तल पर स्थित है। गर्भग्रह के निकट ही भगवान शिव का धाम है।
बंगाला संस्कृति के प्रमुख केंद्र, सफ़दरजंग स्थित मातृ मंदिर द्वारा ‘सम्बाद’ नामक एक त्रैमासिक बंगाली पत्रिका भी प्रकाशित की जाती है। माँ काली के मुख्य भवन के निकट भव्य लक्ष्मी-नारायण धाम एवं शिवालय भी है।
रामकृष्ण पुरम स्थित माँ काली को समर्पित इस मंदिर का उद्घाटन 11 जून, 1987 को किया गया था। मंदिर द्वारा 3000 पुस्तकों का विशाल पुस्तकालय, 41 कमरों की धर्मशाला संचालित की जाती है।
शारदीय संस्कृति समिति द्वारा निर्माणधीन ग्रेटर नोएडा कालीबाड़ी का प्रांगण 6,000 वर्ग मीटर होगा। मंदिर में अभी माँ काली तथा भगवान शिव धाम उपस्थित है, परंतु पूर्ण होने पर मंदिर में श्री राधा-कृष्ण धाम की स्थापना भी की जाएगी।
सन् 1984 मे स्थापित इस मंदिर के प्रथम द्वार पर श्री गणेश जी और द्वितीय द्वार पर स्वयं संकटमोचन श्री हनुमान जी महाराज विराजमान हैं। मयूर विहार कालीबाड़ी मे हर अमावस्या को माँ काली का विशेष पूजन किया जाता है।
रोहिणी वेस्ट मेट्रो स्टेशन के पास माँ काली का यह मंदिर रोहिणी के प्रसिद्ध श्री अय्यप्पा मंदिर से बिल्कुल सटा हुआ ही है। इस मंदिर में पेटीएम का डिजिटल डोनेशन बॉक्स (दानपात्र) भी है।