शिवजी जी पर जल चढ़ाने का कनेक्शन महाकुम्भ से कैसे ? – How is the connection of offering water to Lord Shiva with Maha Kumbh?

Monika
शिवजी जी पर जल चढ़ाने का कनेक्शन महाकुम्भ से कैसे ? – How is the connection of offering water to Lord Shiva with Maha Kumbh?

महाकुम्भ शुरू हो चूका है लेकिन क्या आपको पता है कि महाकुम्भ का कनेक्शन शिवजी में जल चढ़ाने से कैसे है ? आज हम इसी बारे में बताने वाले है। दरसल, महाकुंभ का आयोजन इसी अमृत की खोज का परिणाम है। इसके लिए सदियों पहले सागर के मंथन का उपक्रम रचा गया था।

अमृत की खोज का परिणाम है महाकुंभ का आयोजन

शिवजी जी पर जल चढ़ाने का कनेक्शन महाकुम्भ से कैसे ? – How is the connection of offering water to Lord Shiva with Maha Kumbh?

मंदार पर्वत की मथानी बनी, वासुकी नाग की रस्सी बनाई गई और जब यह मंदार पर्वत सागर में समाने लगा तो उसे स्थिर करने के लिए भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लिया। उन्होंने मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर स्थिर किया और फिर सागर मंथन शुरू हुआ।

सबसे पहले निकला हलाहल विष

जब समुन्द्र मंथन से पहला रत्न प्राप्त हुआ तो अमृत की खोज में जुटे सभी लोग, उसे पाने की प्रक्रिया से निकले विष को देखकर भागने लगे थे। उस रत्न को लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। हालांकि असुरों ने जिद की थी, जो भी रत्न सबसे पहले निकलेगा उस पर पहले उनका अधिकार होगा। उन्हें लगा था कि सागर मंथन होते ही पहले अमृत ही निकल आएगा और इसके बाद मंथन की जरूरत ही नहीं होगी। इसलिए उन्होंने मंथन की हामी भरने से पहले ये शर्त रखी थी कि जो रत्न निकलेगा, उस पर उनका अधिकार होगा। इस नियम के तहत विष उन्हें ग्रहण करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसे ग्रहण करने से साफ मना कर दिया।

सर्पो ने दिया शिवजी का साथ

जब देवताओं में भी कोई इसे पीने को तैयार नहीं हुआ, तब महादेव आए। संसार के कल्याण के लिए उन्होंने विष को पी लिया और कंठ में ऊपर की ओर रोक लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और महादेव नीलकंठ कहलाए।  जब वह विषपान कर रहे थे, तब उसकी कुछ बूंदें जो धरती पर गिरीं उन्हें सांप-बिच्छू और ऐसे ही अन्य जीवों ने पी लिया। पुराण कथाएं कहती हैं कि ये जीव महादेव का कार्य सरल बनाने आए थे। इसलिए उन्होंने भी उनके समान जहर धारण किया और उस दिन से विषैले हो गए ।

महादेव का किया गया जलाभिषेक

विष के प्रभाव को शांत करने के लिए कई बार उनका जल से अभिषेक किया गया। घड़े भर-भर कर उन्हें स्नान कराया गया। कहते हैं कि तभी से शिवजी के जलाभिषेक की परंपरा चल पड़ी। उन्हें हर शीतल औषधियां दी गईं। भांग, जिसकी तासीर ठंडी होती है वह पिलाया गया। धतूरा, मदार आदि का लेप किया गया। दूध-दही, घी सभी पदार्थ उन पर मले गए। इस तरह महादेव विष के प्रभाव को रोक सके और उन्होंने संसार को नष्ट होने से बचा लिया। यही वजह है, कि आज तक शिवजी पर जल चढ़ाया जाता है।