मुस्लिम धर्म में रमज़ान के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह 9 वा महीना होता है। मुस्लिम धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस महीने रोज़ा रखने, नेक काम करने और अल्लाह की इबादत करने से सवाब मिलता है। रमज़ान के महीने में रोजदार सारे रोज़े रखते हैं और इसके बाद ईद मनाई जाती है। लेकिन रोज़ा रखते हुए कुछ नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी माना जाता है। इन नियमों का पालन ना करने से रोज़ा टूट सकता है, जिससे सवाब में कमी आ सकती है।
रोज़दार के मन में कई तरह के वेहम होते हैं जिनसे उन्हें लगता है कि कहीं उनका रोज़ा टूट ना जाए और मकरूह ना हो। मुस्लिम धर्म के तमाम लोगों को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि खुदा हमेशा गलतियों को तो माफ़ कर देते हैं लेकिन गुनाहों को कभी माफ़ नहीं करते। आइए जान लेते हैं कि किन गलतियों या कामों से रोज़ा नहीं टूटता।
रोज़े का मकरूह होने का मतलब है कि आपने रोज़ा तो रखा है लेकिन आपको उसका पुण्य फल नहीं मिलेगा। जैसे रोज़ा रखने के दौरान गीले कपड़े पहनने, दाँत निकलवाने, मुहँ में थूक निकलना, इफ्तार में जल्दी करने आदि जैसे कामों से रोजा तो नहीं टूटता लेकिन रोजा मकरूह हो जाता है।
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