बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। हर साल की तरह इस साल भी दशहरा पर्व की तैयारियां ज़ोर शोर से चल रहीं हैं। इस पर्व के आगमन के साथ ही सबसे ऊँचा रावण बनाने की होड़ भी शुरू हो जाती है। अब तक प्राप्त हुई सूचनाओं के आधार पर चंडीगढ़ 90 फीट ऊँचा रावण बनाने की तैयारियाँ कर रहा है। बता दें कि इससे पहले 2019 में चंडीगढ़ के धनास परेड ग्राउंड में ही दुनिया का सबसे ऊँचा रावण बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई 221 फीट थी। रावण के इस पुतले का दहन रिमोट की सहायता से किया गया था।
पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में 90 फीट ऊँचे इस रावण को बनवाने का ज़िम्मा सेक्टर 46 की रामलीला एवं दशहरा समिति को दिया गया है| रावण का दहन सेक्टर 46 के रामलीला मैदान में होगा। रावण के साथ मेघनाद और कुम्भकरण के 80 से 85 फीट के पुतलों का भी दहन होगा। सनातन धर्म मंदिर में इन पुतलों का निर्माण किया जा रहा है। प्रशाशन द्वारा रावण दहन को मंज़ूरी देने पर भी पटाखों को लेकर स्थिति असमंजसपूर्ण बनी हुई है। दशहरा सिमितियों के अनुसार कोरोना काल के बाद लोगों में दशहरा पर्व को लेकर खास उत्साह है।
रामलीला समीतियों ने झेली परेशानी
सैक्टर 34 में होने वाले रावण दहन को लेकर संयुक्त रामलीला और दशहरा समिति परेशान है क्योंकि इस समिति के अंदर 22 समितियों को रावण दहन हेतु मैदान की अनुमति केवल 2 दिन के लिए मिली है| रामलीला मंचन के लिए शहर की 50 में से 40 समितियों को अनुमति मिल चुकी है। ये रामलीला समितियाँ 25 और 26 सितम्बर से रामलीला का मंचन शुरू कर चुकीं हैं।
समितियों का अलग से आवेदन करना था ज़रूरी रामलीला मंचन और रावण दहन हेतु रामलीला और दशहरा समितियों के लिए प्रशाशन से मंज़ूरी प्राप्त करना गले की फाँस बन गया था। पहले रामलीला मंचन और रावण दहन के लिए समितियों को नगर निगम से अनुमति लेनी होती थी। निगम से बिजली, दमकल एवं अन्य विभागों की अनुमति मिलने के पश्चात एरिया एस डी एम से अनुमति मिल जाती थी लेकिन इस बार सुरक्षा के लिहाज़ से इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया था। इस बार नगर निगम से अनुमति लेने के बाद सुरक्षा प्रबंधों के लिए एस डी एम कार्यालय में आवेदन करना अनिवार्य था। इस नए नियम के कारण रामलीला एवं दशहरा समितियों को काफी परेशान होना पड़ा।