21 मार्च 2023 : विश्व कविता दिवस (World Poetry Day)

वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान,
निकल कर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान।

बात जब कविता या विश्व कविता दिवस की होती है तो हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की कविता की यह पंक्तियाँ सहज ही स्मरण हो आती है। कविता की इन पंक्तियों में कवि ने पहले कवि और पहली कविता के इतिहास को उद्घाटित करने का प्रयास किया है।

विश्व कविता दिवस का इतिहास (History of World Poetry Day)

दुनियाभर में हर साल 21 मार्च को 'विश्व कविता दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1999 में पेरिस में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) के 30 वे अधिवेशन के दौरान 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। इस मौके पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी की ओर से विश्व कविता उत्सव का आयोजन किया जाता है।

विश्व कविता दिवस का उद्देश्य (Motive of World Poetry Day)

कविता किसी कवि के हृदय की मौलिक अभिव्यक्ति है जिसका सृजन उसने अपने हाथों में मौजूद कलम की सहायता से किया है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य कवि के सृजन करने की प्रतिभा को सराहने के साथ ही काव्य सृजन के महत्त्व को बढ़ावा देना है। जब यूनेस्को द्वारा इस दिवस को मनाने की घोषणा की गई थी तब उसके द्वारा इस बात का ज़िक्र किया गया था कि इस विशेष अवसर को मनाने से क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता आंदोलन को एक मज़बूत पहचान मिलेगी।

कविता का महत्व (Importance of Poem)

कविता के माध्यम से एक कवि अपने हृदय के भावों को शब्दों में पिरोकर अभिव्यक्त करता है। एक ओर जहाँ कविता को अभिव्यक्त करते समय कवि के हृदय को शान्ति मिलती हैं तो वहीं दूसरी ओर कविता को सुनकर सुनने वाले व्यक्ति का हृदय भी शांत होता है। कवि अपनी कविता के माध्यम से अपनी कल्पना एवं जीवन के सत्य को उदघाटित करने की कोशिश करता है। शब्दों के साथ खेलने की कला हर किसी के पास नहीं होती और जिस भी व्यक्ति के पास यह कला होती है वही व्यक्ति कवि, शायर या लेखक बन जाता है, फिर चाहे वह कविता दुनिया की किसी भी भाषा में रचित क्यों न हो। कविता की रचना करने के लिए शब्दों के साथ ही व्याकरण और अलंकारों का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है।