गोरैया के महत्व को बताता है विश्व गोरैया दिवस

भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जहाँ विविधता को मांपने का कोई पैमाना मौजूद नहीं है। यह विविधता केवल लोक संस्कृति, लोक कला और भाषा तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस विविधता के दर्शन आपको यहाँ मौजूद वन्य जीवों और पशु पक्षियों से भी हो जाएंगे। भारत में पशु पक्षियों की बहुत सी प्रजातियाँ मौजूद हैं। लेकिन इनमें कुछ प्रजातियाँ ऐसी भी हैं जो लुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। गोरैया भी उन प्रजातियों में से एक है।

विश्व गोरैया दिवस मनाने का उद्देश्य

हर साल 20 मार्च के दिन विश्व गोरैया दिवस मनाया जाता है। भारत के साथ ही दुनिया भर के तमाम देशों में गोरैया पक्षी की संख्या में काफी कमी आ गई है। विश्व गोरैया दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को गोरैया के संरक्षण के प्रति जागरुक करना है ताकि गोरैया की प्रजाति को बचाया जा सके। गोरैया इस दुनिया की सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है। गोरैया की कम होती संख्या और लुप्त होती प्रजाति चिंता का विषय है। ऐसे में गोरैया को बचाने के लिए उठाया गया यह कदम बेहद सराहनीय है।

कैसे आया गोरैया दिवस मनाने का विचार ?

'द नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं फ्राँस के इको-एसआईएस एक्शन फाउंडेशन' द्वारा विश्व गोरैया दिवस मनाने का विचार रखा गया था। इस विचार के तहत ऐसा कहा गया था की विश्व गोरैया को बचाने के लिए एक दिन समर्पित किया जाए ताकि गोरैया की लुप्त होती प्रजाति को संरक्षित किया जा सके। पहला विश्व गोरैया दिवस 2010 में मनाया गया था।

क्यों होती हैं गोरैया लुप्त ?

पहले दिन की शुरुआत गोरैया की चहकने से होती थी लेकिन अब शहर में गोरैया की आवाज़ सुन पाना तो दूर की बात है, गोरैया का नज़र आना भी काफी मुश्किल हो गया है। गोरैया के गायब होने की मुख्य वजह बढ़ता शहरीकरण, बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना और प्रदूषण का बेतहाशा बढ़ना है। गोरैया एक ऐसा पक्षी है जो मनुष्य की आस पास रहना पसंद करती है।