UltranewsTv | Updated : 27 September, 2024
माँ शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और शक्ति का पहला स्वरूप मानी जाती हैं। वे बैल की सवारी करती हैं। इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और साहस प्राप्त होता है।
ब्रह्मचारिणी देवी तपस्या का प्रतीक हैं। उनके एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। इनकी पूजा से संयम, त्याग, और धैर्य की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार होती हैं और उनके मस्तक पर अर्धचंद्र होता है। ये शांति और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी आराधना से भय दूर होता है और साहस की वृद्धि होती है।
देवी कूष्मांडा सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं। उनके आठ हाथ होते हैं और वे सिंह पर सवार होती हैं। इनकी पूजा से स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है।
स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। इन्हें पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए पूजा जाता है।
माँ कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इन्हें यह नाम मिला। वे राक्षसों का विनाश करती हैं और इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप भयावह है, लेकिन वे भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं। उनका रंग काला है और उनके चार हाथ हैं। इनकी पूजा से अज्ञान और भय का नाश होता है।
महागौरी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनका रंग अत्यंत उज्ज्वल होता है। इनकी पूजा से पापों का नाश होता है और शुद्धता प्राप्त होती है।
माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं। वे कमल के आसन पर बैठी होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं। इनकी पूजा से भक्ति, ज्ञान और सफलता की प्राप्ति होती है।
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