UltranewsTv | Updated : 06 November, 2024
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ। बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक था। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उन्होंने बेहद छोटे उम्र में लेनी शुरू की और अपने गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रहीं।
शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत भोजपुरी लोकगीतों से की। उनके गीतों में बिहार और उत्तर प्रदेश की मिट्टी की खुशबू बसी हुई है।
उनके गाए लोकगीत, जैसे बिहुला-भागलपुर और नाचे-नाच बलमजी ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई।
छठ पूजा के गीतों में शारदा सिन्हा का एक विशेष स्थान है। काँच ही बांस के बहंगिया जैसे छठ गीतों ने छठ पर्व को एक नई पहचान दी। उनके गीतों में भक्ति, प्रेम और बिहार की संस्कृति की झलक मिलती है।
शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
शारदा सिन्हा न केवल एक गायिका हैं, बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश की संस्कृति की पहचान हैं। उनकी आवाज़ में जो अपनापन और मिठास है, वह हर भारतीय के दिल को छू जाता है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!