रॉकेट चांद पर टोल लेने ले जाएगा पुतला, नासा कौन सा मिशन की कर रहा है प्लानिंग? आइए जानते है पूरी जानकारी

चंद्रमा की टोल लेने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) का आर्टेमिस-1 मिशन तैयार है। नासा के
अनुसार मिशन के तहत आर्टेमिस-1 रॉकेट की मदद से स्पेसक्राफ्ट ओरियन पुतले लेकर जाएगा।
29 अगस्त, सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 0833 बजे फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर (केएससी) से
स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) की मदद से मानवरहित ओरियन कैप्सूल को छोड़ा जाएगा। 1972 में चांद पर
अपोलो मिशन के तहत मनुष्य भेजने के बाद ये सबसे बड़ा मिशन है, जो भविष्य की योजनाओं को मुकम्मल
करेगा।

मिशन से नासा का लक्ष्य
नासा के अनुसार मानवरहित इस मिशन से अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट की गतिविधि का जायजा लिया जाएगा।
इसी आधार पर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की आगे की रणनीति और तैयारी की जाएगी। इसके
अलावा, अंतरिक्ष से यात्रियों को बाहर निकालने के साथ अन्य तौर तरीकों का मूल्यांकान होगा।
ओरियन कैप्सूल में एक पुतला भी जाएगा जिसे मौनकिन कैंपोस कहते हैं। पुतले को सेंसर युक्त नासा के कपड़े
पहनाए जाएंगे। वहीं दो पुतले हेलगा और जोहर को भी भेजा जाएगा जो नकली हड्डियों और अंगों को बनाने
के लिए इस्तेमाल होने वाले तत्वों से बने हैं। इसके बाद विकिरण और ताप का इनपर पड़ने वाले प्रभाव का
आकलन किया जाएगा।

लॉन्च सिस्टम होगा अहम
नासा के अनुसार स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) इस मिशन में अहम भूमिका निभाएगा। 322 फुट लंबा ये रॉकेट
ही भविष्य के चंद्रमा से जुड़े मिशन की रूपरेखा तैयार करेगा।

चंद्रमा के पास रहेगा कैप्सूल
आर्टेमिशन मिशन-1 के तहत अंतरिक्ष में जाने वाला कैप्सूल चंद्रमा के 100 किलोमीटर के दायरे में रहेगा। इस
मिशन के जरिए वैज्ञानिक ये भी पता लगाएंगे कि ओरियन कैप्सूल की गर्मी को सहने की कितनी क्षमता है। ये
अबतक का सबसे बड़ा कैप्सूल है जिसका व्यास 16 फीट है।

चंद्रमा-पृथ्वी के साथ सेल्फी
केएससी के निदेशक जैनेट पेट्रो के अनुसार 42 दिन तक स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के आसपास रहेगा। इसमें लगे कैमरे
स्पेसक्राफ्ट के साथ चंद्रमा की सेल्फी भी लेंगे। सेल्फी के बैकग्राउंड में पृथ्वी भी स्पष्ट दिखाई देगी।