माता-पिता का दर्द

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जल्दी-जल्दी नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देने के बाद मनोहर जी उसे साफ करने में लगे थे, ताकि कहीं बहू और बेटा न देख लें। कल ही तो बहू काजल ने नई चादर बिछाई थी और काफी सुनाया था अपने पति रवि को कि अगर इस बार पापा जी ने फिर से चादर गंदी की तो वो इसे साफ नहीं करेगी, भले ही घर छोड़ना पड़े। इसी वजह से बेटे-बहू ने कल से उन्हें ज्यादा पानी भी नहीं पीने दिया था कि कहीं फिर से मनोहर जी ऐसा न कर दें। 85 वर्षीय मनोहर जी को जबसे किडनी की समस्या हुई है, तबसे ऐसा कभी-कभी हो जाता है। बेचारे मनोहर जी को बहुत अफसोस होता था।

जल्दी से चादर हटाकर मनोहर जी उसे बाथरूम में ले जाकर धोने लगे, यह सोचकर कि बहू आज बेटे के साथ अपने भाई की शादी के कपड़े लेने गई है, तो देर से ही लौटेगी। उन्हें भूख भी लग रही थी पर मन का डर उनके हाथ जल्दी-जल्दी चलाने को मजबूर कर रहा था। चादर भीगने के बाद उठाई नहीं जा रही थी। मनोहर जी की सांसे फूलने लगीं, तभी उन्होंने सामने अचानक बेटे-बहू को खड़ा पाया। वे बस इतना बोले, “बहू, अब नहीं होगा… मैंने साफ कर दी है।”

बेटे रवि ने अपने पिता मनोहर जी को सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया। “देख लो, फिर से बिस्तर खराब कर दिया है। कितनी बदबू आ रही है। इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाओ।” बहू कुछ और बोलती उससे पहले रवि बोला, “तुम अपने मायके जा सकती हो। उस बाप को कैसे छोड़ सकता हूँ, जिसने मेरी पैंट तक साफ की थी जब मैं कच्छे में पोटी कर देता था। उस बाप का पेशाब नहीं साफ होगा जिसकी यूनिफार्म पर मैंने उस दिन टॉयलेट कर दी थी जब पिता जी अपने सम्मान समारोह में जा रहे थे। उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा और खुशी-खुशी पानी से थोड़ा सा साफ कर चले गए।”

“चलिए पापा, कितने गीले हो गए हैं आप, ठंड लग जाएगी। आपके लिए चाय बनाता हूँ।” बेटे ने दीवान से नई चादर निकालकर मनोहर जी के बिस्तर पर बिछाई। उन्हें बैठाया, उनके कपड़े बदले और अपने हाथों से चाय पिलाने लगा।

मनोहर जी के कांपते हाथ बेटे को आशीर्वाद देने के लिए उसके सर पर आ गए। आँखों से भी आँसू बह निकले जिन्हें धोती के कोरों से पोंछते जा रहे थे। सामने लगी पत्नी की तस्वीर को देख मन ही मन बोले, “देख ले विमला, तू कहती थी मैं चली जाऊंगी तो कौन ख्याल रखेगा मेरा। हमारा रवि देख कैसे तेरे बुढ़ऊ की सेवा कर रहा है।”
बहू भी दरवाजे पर खड़ी पश्चाताप के आँसू बहा रही थी।

शिक्षा

अगर हर बेटा अपने माता पिता की सेवा पूर्ण भाव से करें तो देर नही लगेगी वृद्ध आश्रम बन्द होने में।

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