वंशवादी राजनीति खत्म करने का सुनहरा अवसर – Golden opportunity to end dynastic politics

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= वंशवादी राजनीति खत्म करने का सुनहरा अवसर - Golden opportunity to end dynastic politics


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से एक महत्वपूर्ण बात कही गई। उन्होंने आह्वान किया कि गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के युवा राजनीति से जुड़ें। युवाओं से उनका यह आह्वान भविष्य की वह तैयारी है, जिसके प्रतिबिंब हमें इतिहास में देखने को मिलते हैं। वर्तमान में भाजपा ने व्यापक स्तर पर सदस्य जोड़ो अभियान की शुरुआत कर दी है।

देश के किसी भी आंदोलन में भारत के युवाओं का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1951 में विनोबा भावे के मार्गदर्शन में हुए भू-दान आंदोलन में देश के युवाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। वह एक स्वैच्छिक भूमि सुधार आंदोलन था, जिसमें विनोबा भावे का यह प्रयास था कि भूमि का पुनर्वितरण सिर्फ सरकारी कानूनों के जरिये नहीं हो, बल्कि एक आंदेलन के माध्यम से इसकी सफल कोशिश की जाए। उनका उद्देश्य धनी जमींदारों द्वारा भूमिहीन किसानों को अपनी भूमि का एक हिस्सा दान करने के लिए राजी करना था। जब विनोबा भावे ने गांव-गांव घूमकर जमींदारों से अपनी जमीन दान करने का अनुरोध किया तो आंदोलन को गति मिली। उस आंदोलन में आरएसएस के स्वयंसेवक और उस समय भारतीय जनसंघ से जुड़े आचार्य देवरस और नानाजी देशमुख ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इस आंदोलन को जनता के बीच प्रसिद्धि दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भी अपनी युवावस्था में इससे जुड़कर जनता के मध्य उस राष्ट्रव्यापी आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की।

इससे पहले भी कर चुके हैं युवा, आंदोलनों का नेतृत्व – Even before this, youth have led movements

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में भी युवाओं ने पूरे भक्ति भाव और सामर्थ्य के साथ भारत की सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने का काम किया। वहां भी आडवाणी और अटल जी ने अपने संगठनात्मक कौशल का परिचय दिया था। जब स्वतंत्र भारत के आत्मा पर तानाशाही का सबसे बड़ा कुठाराघात आपातकाल के रूप में आया, तब जेपी आंदोलन में भी युवाओं ने लोकतंत्र की शक्ति का परिचय देते हुए इंदिरा गांधी को भारत की शक्ति से अवगत कराया। 2011 में बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हो या अन्ना आंदोलन, 2014 में निरंकुश हो चुकी सरकार को हटाने में भी युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ये सभी इतिहास के वे झरोखे हैं, जहां देखने पर आपको पता चलेगा कि भारत का युवा हर महत्वपूर्ण काल में भारत की शक्ति बन कर उभरा है। 2014 में नरेन्द्र मोदी ने जब देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उस बदलाव के पीछे भी देश के युवाओं का एक दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति विश्वास था, जो आज धरातल पर नजर आ रहा है। अब यही युवा देश की राजनीति का हिस्सा बनेंगे। दुर्भाग्यवश भारत की राजनीति को वंशवाद के जाल से बचाना इतना आसान नहीं रहा है। एक लंबी पीढ़ी ने देश की राजनीति में इस वंशवाद को झेला है। समाजसेवा में जीवन खपा देने वाले युवाओं ने भारत की विकास यात्रा के दौरान वंशवाद के अन्याय को अपनी आंखों से देखा है। उसी अन्याय को दूर कर स्वच्छ राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का यह आह्यन स्वागतयोग्य है।

भाजपा का यह मानना रहा है कि तकनीक, खेल और कला के क्षेत्र में भारत को आगे बढ़ाने वाली युवाशक्ति राजनीति में भी सामर्थ्यवान है। युवाओं के इसी सामर्थ्य को प्रधानमंत्री मोदी ने पहले दिन से समझा। स्टार्टअप इंडिया से लेकर डिजिटल इंडिया तक, ये सब वे कार्य हैं, जो सीधे युवाओं से जुड़ते हैं। भारत ने जिस तरह की उपलब्धियां पिछले 10 वर्षों में हासिल की हैं, उनके पीछे भी युवाओं का आधुनिक सोच रही है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने भी बढ़ावा दिया है। उन्होंने सदैव देश के युवाओं से जुड़ने के प्रयास किए हैं। उन्हें नए अवसरों का वह मंच प्रदान किया है जिससे वे अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘खेलो इंडिया’ जैसे मंच तैयार किए हैं, जहां खेल जगत से जुड़े युवाओं को प्रोत्साहन मिला है। हम बीते ओलिंपिक और अभी चल रहे पैरालिंपिक खेलों में भी उसके असर को देख सकते हैं। उन्होंने एक अभिभावक के रूप में भी बच्चों को प्रोत्साहित किया है। परीक्षा की कठिनाइयों से जूझ रहे युवा साथियों के लिए ‘परीक्षा पर चर्चा’ जैसे कार्यक्रम किए गए हैं। युवा शक्ति के साथ यह जुड़ाव ही उन्हें बाकियों से अलग बनाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह जानते हैं कि भारत यदि दुनिया का सबसे युवा देश है, तो उसकी महत्वकांक्षाएं भी बड़ी होंगी। इनकी पूर्ति के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि भारत अपने संसाधनों का सही प्रयोग करे। 1980 में जबसे भाजपा राजनीति में एक विकल्प के रूप में सामने आई, तबसे ही उसने युवाशक्ति के सामर्थ्य को समझा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने जीवन में इस सोच को आत्मसात किया है। इसके महत्व को समझा है। यही कारण है कि राजनीति में उन्होंने युवाओं को आगे आने का आह्वान किया है। दुर्भाग्यवश देश की राजनीति में पहले जैसे उदाहरण पेश किए गए हैं, वे युवाओं को इस क्षेत्र में आने से रोकते रहे हैं, लेकिन एक सच्चा नेतृत्वकर्ता वही है, जो अपने देश के सामर्थ्य और जरूरतों को समझे और समयबद्ध रूप से उस पर निर्णय ले। भारत की युवाशक्ति जिस क्षेत्र में भी गई है, उसने भारत के तिरंगे को

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।

UltranewsTv देशहित

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें | देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले जानने के लिए UltranewsTv वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
भारत के राष्ट्रपति | President of India

भारत के राष्ट्रपति : संवैधानिक प्रमुख 

भारत के उप-राष्ट्रपति – Vice Presidents of India

भारत के उपराष्ट्रपति – Vice Presidents of India

bharat-ke-up-pradhanmantri

भारत के उप प्रधानमंत्री – Deputy Prime Ministers of India

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
Dr Sarvepalli Radhakrishnan

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – Dr Sarvepalli Radhakrishnan : पुण्यतिथि विशेष

Next Post
20 करोड़ भारतीय जी रहे हैं निष्क्रिय जीवन शैली - 20 crore Indians are living inactive lifestyle 

20 करोड़ भारतीय जी रहे हैं निष्क्रिय जीवन शैली – 20 crore Indians are living inactive lifestyle 

Related Posts
Total
0
Share