देश का नाम बदलने की जटिल प्रक्रिया – Complicated process of changing the name of the country

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हम सबने देखा कि कैसे मद्रास-चेन्नई, बेंगलोर-बेंगलुरु, उड़ीसा-ओडिशा, कलकत्ता-कोलकाता, इलाहाबाद-प्रयागराज, हबीबगंज-रानी कमलापति, होशंगाबाद-नर्मदापुरम, उत्तरांचल-उत्तराखंड, पांडिचेरी-पुदुचेरी, बंबई-मुंबई हो गए। हमारे कई पड़ोसी देशों के नाम भी बदले हैं। पहले जिसे बर्मा कहते थे, वह अब म्यांमार हो गया है। तुर्की ने अपना नाम बदलकर तुर्किये कर लिया है। चेक रिपब्लिक अब नए नाम ‘चेकिया’ से पहचाना जाने लगा है।

2011 में आस्ट्रेलिया के एक शहर “स्पीड” के निवासियों ने एक महीने के लिए अपने शहर का नाम बदलकर “स्पीडकिल्स” रखा था। इसकी वजह यही थी कि उस शहर में लोग बहुत तेजी से अपने वाहन दौड़ाते थे। इससे दुर्घटनाएं बढ़ने लगी थीं। वाहन चालकों में जागृति लाने के लिए ऐसा किया गया था।

गुलाम रहे देश बदल रहे हैं अपना नाम – Countries that have been slaves are changing their names.

 ऐसे देश भी अपना नाम बदलते हैं, जो भूतकाल में किसी अन्य देश के गुलाम थे। गुलामी की कड़वी यादों को भुलाने के लिए वे आमतौर पर ऐसे देश भी अपना नाम बदलते हैं, जो पूर्व में किसी अन्य देश के गुलाम थे ऐसा करते हैं। ब्रिटेन की गुलामी करने वाले ‘सिलोन” ने आजादी प्राप्त करने के बाद अपना नाम बदलकर “श्रीलंका” कर दिया। “अपर वोल्टा” ने अपना नाम बदलकर “बुर्किन फासो” कर लिया। 2019 में “मैसेडोनिया” ने अपना नाम बदलकर “नार्थ मेसेडोनिया” कर लिया था। ग्रीस में भी “मेसेडोनिया” नामक प्रदेश है। इससे ग्रीस काफी समय से उससे अपना नाम बदलने को कह रहा था।

क्या है नया नाम देने की प्रकिया – What is the process of giving a new name?

वास्तव में यह प्रक्रिया जटिल और काफी खर्चीली भी है। सबसे पहले तो नाम बदलने के लिए देश के भीतर ही मतदान होता है। इसके बाद नया नाम संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन को भेजा जाता है। यूएन की छह अधिकृत भाषा (अरबी, मंदारिन, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश) में यह नाम किस तरह से लिखा जाएगा, यह बताना होता है। यह सब ठीक-ठाक रहा, तो प्रस्तावित नाम यूएन द्वारा मंजूर किया जाता है। इसके बाद ही वह देश नया नाम प्राप्त करता है। 

कितना होता है खर्चा – How much does it cost 

रही बात खर्च की, तो नया नाम मिलने के बाद उस देश की सेना की वर्दी, देश की मुद्रा, सरकारी दस्तावेज और कई चीजों का नाम भी बदलना होता है। इसमें पेपरवर्क, वेबसाइट, सरकारी कार्यालयों में साइनेज और सभी आफिसों के लेटरहेड बदलने होते हैं। इस सभी कार्यों को संपादित करने में काफी खर्च होता है। 2018 में अफ्रीकी देश “स्वाजीलैंड” का नाम बदलकर “इस्वातिनी” किया गया। इस पर करीब 50 करोड़ रुपये का खर्च आया। वह भारत के क्षेत्रफल से करीब 10 गुना छोटा है। भारत की 140 करोड़ से अधिक की आबादी के मुकाबले उस देश की आबादी केवल 12 लाख ही है।

अब यदि भारत जैसे विशाल देश का नाम बदलना हो, तो कितनी बेशुमार दौलत खर्च होगी इसकी महज कल्पना ही की जा सकती है।  

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