उदित नारायण – Udit Narayan

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उदित नारायण (Udit Narayan) का जन्म 1 दिसम्बर 1955 को बिहार के सुपौल जिले में हुआ था। उनका परिवार संगीत से जुड़ा हुआ था, और इस वातावरण में उनका पालन-पोषण हुआ। हालांकि, जीवन की शुरुआत उनके लिए आसान नहीं थी। आर्थिक तंगी और जीवन के संघर्षों के बावजूद, उदित ने अपने सपनों को छोड़ने का नाम नहीं लिया। वह बचपन से ही गाने में रुचि रखते थे और संगीत की दुनिया में कुछ बड़ा करना चाहते थे।

उदित नारायण का मुंबई की ओर रुख

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उदित ने अपने संगीत करियर की शुरुआत मुंबई में की। वह बहुत ही संघर्षपूर्ण समय था, जहां उन्हें अपनी आवाज को पहचान दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। शुरुआत में उन्हें कई छोटे-मोटे गाने मिले, लेकिन असली पहचान तब बनी जब उन्होंने 1988 में फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ से गायन की शुरुआत की और गाना “प्यार का पहला शहर” लोगों के दिलों में बस गया।

उदित नारायण बायोग्राफी – Udit Narayan Biography in Hindi

जन्म 1 दिसम्बर 1955
जन्म स्थान बिहार, सुपौल
व्यवसाय गायक
पहला गाना प्यार का पहला शहर (1988)
मातापिताहरे कृष्णा झा (पिता), भुवनेश्वरी देवी (माता)
पत्नीदीपा नारायण झा (गायक)
बच्चेआदित्य नारायण (गायक और अभिनेता)
पुरस्कारफिल्मफेयर अवार्ड, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, और पद्मश्री

संगीत के साम्राट उदित नारायण – Emperor of Music Udit Narayan

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उदित नारायण की आवाज़ का जादू हर किसी को आकर्षित करता था। उनके द्वारा गाए गए गीतों ने बॉलीवुड संगीत को एक नई दिशा दी। उनका सबसे प्रसिद्ध गीत “मेरे हथो में नो नो छेरे” फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में था, जो आज भी लोगों के बीच एक हिट गाना है। उन्होंने करीब 40 सालों से अधिक समय तक बॉलीवुड में अपनी आवाज दी है और सैकड़ों हिट गाने दिए हैं।

उदित नारायण को सम्मान और पुरस्कार – Honors to Udit Narayan

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उदित नारायण को उनकी आवाज और संगीत के योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्होंने फिल्मफेयर अवार्ड, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, और पद्मश्री जैसी कई बड़ी उपलब्धियों को हासिल किया है। उनका संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा अमर रहेगा।


उदित नारायण की जीवन यात्रा यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर किसी के अंदर समर्पण और मेहनत हो तो वह किसी भी मंजिल तक पहुँच सकता है। उनकी सफलता उनके संघर्ष और विश्वास का प्रतीक बन गई है।

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