अंगदान को महादान कहा जाता है। विश्व अंगदान दिवस वैश्विक स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है। अंगदान करने के लिए सभी लोगो को प्रेरित करना इसका महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। भारत में ही सिर्फ हर 20 मिनट में एक व्यक्ति अंग के इंतजार में अपने प्राण त्याग देता है। अगर देखा जाये तो अंग की मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर है। आकड़ों को देखने से पता चलता है कि करीब करीब 3 लाख लोगों को अंग की जरूरत है लेकिन अंगदान वाले महज कुछ हजार।
क्या है इतिहास - What is history
अंगदान के इतिहास में अगर देखा जाये तो सबसे पहला जीवित अंगदान 1954 में किया गया। तभी से इस दिन हर साल अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने के लिए विश्व अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में पहला मृत अंगदान सफल रूप से 13 अगस्त 1994 को प्रत्यारोपित किया गया। साल 2023 से इस दिन भारत में हर साल राष्ट्रीय अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 2023 से पहले राष्ट्रीय अंगदान दिवस हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता था, जिसकी शुरुआत साल 2010 में हुई थी।
क्या है इस दिन का महत्त्व - What is the importance of this day?
सामरिक दृष्टि से यह दिन बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है। लोगो को इस दिन के प्रति जागरूक करना हो या सभी को अंगदान के लिए प्रेरित करना हो, सभी कारक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। विश्व अंगदान दिवस की थीम निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है -
जागरूकता बढ़ाना- यह दिवस मुख्य रूप से लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना तथा अंगप्राप्तकर्ता के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
अंगो की कमी के बारे में बताना - विश्व अंगदान दिवस का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करके उन्हें अंगदान के लिए संकल्पित करना है।
अंगदान करने वालों को समर्पित है दिन - यह दिन प्राप्तकर्ता के जीवन को बचाने वाले अंगदाता के लिए समर्पित है। दानदाता और उसके परिवार के योगदान के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।
लोगों को प्रतिज्ञाबद्ध करने के लिए - इस दिन लोगों से अंगदान के लिए अपना पंजीकरण कराने का आग्रह किया जाता है। ताकि किसी और का जीवन बदला जा सके।
कितनी तरह से कर सकते हैं अंगदान - How many ways can one donate organs?
अंगदान मुख्यतः 2 ही तरीकों से किया जा सकता है। जीवित दान और शव दान।
जीवित दान- जब कोई जीवित व्यक्ति अपने अंग या अंग का कोई हिस्सा दान कर देता है तो उसे जीवित दान कहा जाता है। इन अंगों में किडनी दान, लिवर दान, रक्त दान आदि अंग आते हैं। इसके लिए मेडिकली फिट रहना जरूरी है। इसके लिए सबसे अनिवार्य शर्त है कि रक्त समूह और उत्तक एक दूसरे से मिलते हों।
शव दान - किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके अंगदान करने को शव दान कहा जाता है। जो कोई भी व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अंगदान करना चाहता है तो उसके लिए उसे सबसे पहले पंजीकरण कराना आवश्यक है। किसी अंगदाता की मृत्यु कैसे हुई है? यह भी एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है।
अगर अंगदाता के मस्तिष्क की मृत्यु हुई है तो उसके सभी महत्त्वपूर्ण अंगो का दान किया जा सकता है। जैसे किडनी दान, लिवर दान, ह्रदय दान, फेफड़े दान, यकृत दान, इत्यादि अंगों को दान स्वरुप दिया जा सकता है।
लेकिन अगर अंगदाता की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है तो सिर्फ उस शव के उत्तकों का ही दान दिया जा सकता है। जैसे कार्निया दान, अस्थि मज्जा दान, ह्रदय वॉल्व, आदि। बाकि सभी अंग ऑक्सीजन की कमी से मर जाते हैं।
एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में, भारत में क्रमशः किडनी (759), लिवर (279) और हृदय (99) में 1137 अधिक मृत अंग प्रत्यारोपण की सूचना मिली है। हालांकि, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, मांग को पूरा करने के लिए लगभग 1,75,000 किडनी, 50,000 लिवर, हृदय और फेफड़े और 2,500 अग्न्याशय की आवश्यकता है।
अंग दान के बारे में कुछ तथ्य - Some facts about organ donation
प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया, हृदय वाल्व, हड्डी और त्वचा के ऊतकों को दान किया जा सकता है, जबकि अन्य महत्वपूर्ण अंग जैसे हृदय, यकृत, आंत, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय को केवल मस्तिष्क मृत्यु की स्थिति में ही दान किया जा सकता है।
अंग दान के लिए कोई विशिष्ट आयु नहीं है, लेकिन दाता की चिकित्सा स्थिति का कड़ाई से सत्यापन और निगरानी की जाती है।
यदि 18 वर्ष से कम आयु का कोई व्यक्ति अंगदान करना चाहता है, तो उसे अपने माता-पिता या अभिभावकों की सहमति लेनी होगी।
2015 में, एक शिशु जिसने गुर्दे की विफलता से पीड़ित एक वयस्क को किडनी दान की, वह सबसे कम उम्र का अंग दाता बन गया। जन्म के बाद शिशु केवल 100 मिनट तक जीवित रहा।
सबसे बुजुर्ग ज्ञात दाता स्कॉटलैंड से हैं, जिन्होंने 2016 में 107 वर्षीय महिला की मृत्यु के बाद कॉर्निया दान किया था। सबसे बुजुर्ग ज्ञात अंग दाता वेस्ट वर्जीनिया के 95 वर्षीय व्यक्ति थे, जिन्होंने यकृत प्रत्यारोपण के लिए अपनी मृत्यु के बाद अपना यकृत दान कर दिया था ।
भारत में अंगदान को विनियमित करने के लिए मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम है। यह कानून मृत और जीवित दोनों लोगों को अंगदान करने की अनुमति देता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में लगभग 0.01% लोग मृत्यु के बाद अपने अंग दान करते हैं।
भारत में पंजीकृत अंग दाताओं की संख्या केवल 3% है।
2019 के एम्स डेटा के अनुसार, हर साल 1.5 - 2 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है , लेकिन सिर्फ 4% ही इसे प्राप्त कर पाते हैं। इसी तरह, हर साल लगभग 80,000 रोगियों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन सिर्फ 1,800 ही इसे प्राप्त कर पाते हैं।