शिक्षा प्रणाली को इस तरह से पुनर्गठित करना होगा कि यह छात्रों को न सिर्फ ज्ञान, बल्कि जीवन कौशल भी प्रदान करे। अब समय आ गया जब इस तरफ सबका ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है। कब तक वही पुराने ढर्रे पर चीजें होती रहेंगी और कब तक युवा बेरोजगारी का दंश झेलते रहेंगे।
विडंबना है कि एक तरफ हम विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे शिक्षित युवा अपनी योग्यता से कहीं कमतर नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाल में हरियाणा के सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और नगर निकायों में सफाई कर्मचारी की नौकरी के लिए छह हजार से अधिक पोस्ट ग्रेजुएट, करीब 40 हजार ग्रेजुएट और 12वीं तक की पढ़ाई कर चुके 1.2 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन वाली इस नौकरी के लिए कुल 3.95 लाख अभ्यर्थियें ने आवेदन किया है। यह वाकई कई सवाल खड़े करता है। क्या हमारे शिक्षण संस्थान वास्तव में छात्रों को जीवन की वास्तविकताओं के लिए तैयार कर रहे हैं या वे महज डिग्री बांटने के केंद्र बन गए हैं?
हमें यह समझना होगा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि व्यावहारिक कौशल और रचनात्मक सौच विकसित करना भी है। जब उच्च शिक्षित लोगों को भी उनके योग्यता के अनुरूप नौकरी नहीं मिल रही है, तो यह स्पष्ट है कि समाज में आगे बढ़ने के अवसर सीमित हो रहे हैं। यह सिर्फ आर्थिक असमानता नहीं है, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। सिर्फ सरकारी नौकरियां बढ़ाने या निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने से यह समस्या हल नहीं होगी।
यह एक अल्पकालिक उपाय हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह बेरोजगारी की जड़ में छिपी संरचनात्मक समस्याओं को संबोधित नहीं करता। ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जो युवाओं को नौकरी खोजने के बजाय नौकरियां सृजित करने के लिए प्रेरित करे। शिक्षा प्रणाली को इस तरह से पुनर्गठित करना होगा कि यह छात्रों को न सिर्फ ज्ञान, बल्कि जीवन कौशल भी प्रदान करे। हर काम सम्मानजनक है। सफाई कर्मचारी से लेकर प्रोफेसर तक, हर भूमिका समाज के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि क्षमता और योग्यता के अनुरूप अवसर मिलें।
यह समस्या रातों-रात हल नहीं होगी। इसके लिए दीर्घकालिक योजना, सरकार, शिक्षण संस्थान, उद्योग और समाज के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होगी। हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां हर व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का अवसर मिले। यह सिर्फ रोजगार का मुद्दा नहीं है। यह युवाओं के सपनों, अर्थव्यवस्था के भविष्य और देश की प्रगति का सवाल है। हमें इस चुनौती को अवसर के रूप में देखना चाहिए- एक ऐसा भारत बनाने का अवसर जहां शिक्षा सिर्फ डिग्री न हो, बल्कि जीवन की तैयारी हो, जहां विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे और जहां हर युवा को अपने सपने साकार करने का मौका मिले।