हम सबके हर सवाल का जवाब ढूंढने में मददगार, दोस्त गूगल (Happy Birthday Google) का आज जन्मदिन है। आओ, आज तुम्हें इंटरनेट की दुनिया को पूरी तरह बदल देने वाले तुम्हारे इस दोस्त की दुनिया की सैर कराते हैं..
गूगल की यात्रा शुरू होती है 27 सितंबर 1998 से, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने आधिकारिक रूप से आज के दिन गूगल डॉट कॉम की शुरूआत थी। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थी रहे लैरी और सर्गेई ने अकादमिक शोध के तौर पर इंटरनेट सर्च को आसान एवं सटीक बनाने के लिए काम करना शुरू किया था। उन्होंने सबसे पहले 'बैकरब' नाम का सर्च इंजन विकसित किया था, लेकिन तेज और सटीक सर्च इंजन बनाने की प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप क्रांतिकारी सर्च इंजन 'गूगल' सामने आया। उन्होंने गगूल इंक नाम से कंपनी बनाई और गूगल डॉट कॉम को अपने से नाम पंजीकृत कराया।
गूगल नाम की भी दिलचस्प कहानी है। शब्दों के खेल गूगोल से यह नाम निकला है, जो एक के पीछे 100 शून्य तक को प्रदर्शित करता है। विस्तृत डेटा को देखते हुए सर्च इंजन का नाम गूगल रखा गया। पेजरैंक एल्गोरिदम पर आधारित वेब पेजों को सूचीबद्ध कर सिलसिलेवार तरीके से दिखाने की नई तकनीक ने गूगल को उस समय के अपने प्रतिस्पर्धियों से बहुत आगे लाकर खड़ा कर दिया। गूगल का एल्गोरिदम न केवल वेब पेजों की सामग्री पर काम करता था, बल्कि किसी विशिष्ट पेज की ओर इशारा करने वाले लिंक की संख्या और गुणवत्ता पर भी काम करता था। इससे यूजर को सटीक परिणाम मिलने लगे, जिससे इंटरनेट की दुनिया ही बदल गई। इस तरह गूगल यूजर्स की पहली पसंद बन गया।
गूगल की पहचान काम के साथ मुख्यालय के लिए भी होती है। यहां पर मिलने वाली अत्याधुनिक सुविधाओं और काम करने के बेहतरीन माहौल ने इसे आईटी जगत में आदर्श के तौर पर स्थापित किया है। गूगल का वर्तमान मुख्यालय 1999 से कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में स्थित है और वर्तमान में इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारतीय मूल के सुंदर पिचाई हैं।
गूगल के डूडल की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। गूगल प्रतिदिन अपने लोगो में नया प्रयोग करता है। उस पर क्लिक करते ही पूरी कहानी सामने आ जाती है। लोगो में इसी प्रयोग को डूडल कहते हैं। इसी ड्डल के माध्यम से गूगल दुनिया की एतिहासिक घटनाओं को बयां करता है। पहली बार लैरी और सर्गेई ने कार्यालय से बाहर होने की जानकारी देने के लिए इसका प्रयोग किया था। तब गूगल की अंग्रेजी स्पेलिंग के दूसरे ओ के पीछे एक फिगर ड्रॉइंग लिंक की थी। यहीं से डूडल का विचार आया। अक्तूबर 1999 में हैलोवीन के अवसर पर ओ के स्थान पर दो कट्टू लगाए गए। बाद में लैरी और सर्गेई ने उस समय के प्रसिद्ध वेबमास्टर डेनिस ह्वांग को अपना डूडलर नियुक्त किया। इसके बाद गूगल ने अपने डूडल में नित नए प्रयोग शुरू कर दिए।