यह एक आधुनिक युग की प्रेमकथा है। एक राजमार्ग था। सुंदर, सुशील, खूबसूरत। पर वर्षों से अकेला, उदास था। उसका साथी कोई नहीं था, नितांत अकेला राजमार्ग। कोई आकर्षण नहीं था उसके जीवन में।
एक दिन सुबह राजमार्ग की नींद खुली तो उसने पाया कि एक सुंदर सी काली सड़क उसके हाथ को स्पर्श कर रही है। राजमार्ग को लगा कि कहीं वह सपना तो नहीं देख रहा। अचानक एक दिन में सुंदर, काली सड़क कहाँ से आ गई। वह मुग्ध भाव से देखता रह गया। अद्भुत सौंदर्य था। पतली मनमोहक कंचन काया। डामर रूपी पाउडर की हल्की मेकअपीय परत।
युवा सौंदर्य को देख राजमार्ग के मन में प्रेम के अंकुर फूटने लगे। राजमार्ग का जीवन खिल उठा। हाथ में हाथ डालकर वादे किए जाने लगे। सड़क बहुत नाजुक थी। हल्का सा हाथ लगाते ही मेकअप रूपी कंकड़ झरने लगते थे। छूते ही डामररूपी पाउडर हाथ में चिपक जाता था।
कुछ ही दिनों के बाद एक दिन आसमान में काले बादल छा गए। दोनों प्रसन्न हो उठे। राजमार्ग गीत गाने लगा। आसमान से चंद बूंदें गिरी। सड़क के कंकड़ बिखरने लगे।
राजमार्ग ने सड़क का कसकर हाथ पकड़ लिया। धीरे धीरे बरसात ने रफ्तार पकड़ी और अतिवृष्टि हो गई। राजमार्ग डूब गया। सड़क भी पानी में कहीं नहीं दिख रही थी।
कुछ समय उपरांत धूप निकली। बरसात कम हुई। पानी उतरने लगा। पर राजमार्ग का दिल बैठ गया। नई सड़क का अब कोई अवशेष नहीं बचा था। अल्प आयु लिए सड़क स्वर्ग सिधार गई थी। सड़क का एक कंकड़ भी नहीं बचा था। जिसे गले लगकर वह अपना गम हल्का कर सके।
एक सुंदर प्रेम कहानी का इतना दुखद अंत। पर दुखी राजमार्ग कर भी क्या सकता था। यह तो भारतीय सड़कीय शिल्प की नियति थी। सड़क का जन्म होते ही उसकी मृत्यु निश्चित हो जाती थी। पर राजमार्ग इस विधान से परिचित है। वह जानता है कि ठेकेदार आएगा, अफसर आएंगे, सर्वे होगा। एक दिन अल्प समय के लिए फिर सड़क का पुनर्जन्म होगा। बस चाहे कुछ समय के लिए ही सही।