करवा चौथ भारत में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, विशेषकर विवाहित हिंदू महिलाओं के बीच करवा चौथ उत्तर भारत(पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) में अधिक लोकप्रिय है।
यह दिन उपवास और प्रार्थना के माध्यम से पति और पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण के बंधन का प्रतीक है। करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। “करवा” शब्द पारंपरिक रूप से इस त्योहार में उपयोग किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन को संदर्भित करता है, जबकि “चौथ” चौथे दिन को दर्शाता है। यह वह दिन है जब विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हुए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास करती हैं।
हाल के वर्षों में, करवा चौथ विकसित हुआ है। अब महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी अपनी-अपनी पत्नियों के लिए यह व्रत करते हैं। यह अनुकूलन आधुनिक रिश्तों की बदलती गतिशीलता को दर्शाता है।
करवा चौथ एक हृदयस्पर्शी त्योहार है जो विवाह जैसे पवित्र बंधन में प्रेम, समर्पण प्रतिबद्धता की शक्ति को प्रदर्शित करता है। इस परंपरा का महत्व भारतीय संस्कृति में आज भी विद्यमान है।
Karva Chauth: Date and Time in India
तारीख – 1 नवंबर 2023
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 5:54 PM से 7:09 PM [दिल्ली]
करवा चौथ चन्द्रोदय समय – 8:09 PM [दिल्ली]
जाने क्या है, इस व्रत की कथा
प्राचीन काल में एक स्त्री जिसका नाम करवा था, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन जब करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ कर उन्हें नदी में खींच लिया। मृत्यु को अपने करीब देखकर करवा के पति अपनी पत्नी को पुकारने लगे। करवा ने तुरंत के कच्चा धागा लिया और उस मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया, मगरमच्छ उस धागे में ऐसा फसा की वो खुद को उस पेड़ से छुड़ा नहीं पाया। करवा के पति और उस मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में थे। करवा ने यमराज को पुकार, उसने यमराज उस मगरमच्छ को मृत्यु दंड और अपने पति को जीवनदान देने को कहा। लेकिन यमराज ऐसा नहीं कर सकते थे, उन्होंने करवा से कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्यूंकि इस मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति का अंतिम समय आ गया है। यमराज की बात सुन कर करवा ने क्रोधीत होकर कहा कि अगर अपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी। सती के श्राप से डरकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवन दान दे दिया। तब से सुहागिन स्त्रियां करवा माता से प्रथाना करती है कि जैसे आपने अपने पति के प्राणो की रक्षा की उसी तरह मेरे पति की भी रक्षा करना।
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