सी. एन. अन्नादुराई (1909-1969) तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री थे। वह द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के नेता थे और उन्हें तमिल इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है। अन्नादुरई का जन्म 15 सितंबर, 1909 को तमिलनाडु के एट्टायपुरम में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने से पहले कानून की पढ़ाई की और एक पत्रकार के रूप में काम किया। वह 1957 में मद्रास विधान सभा के लिए चुने गए और 1967 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। अन्नादुरई एक लोकप्रिय और करिश्माई नेता थे जिन्हें उनके भाषणों और तमिलनाडु के लोगों के कल्याण के लिए उनके कार्यों के लिए याद किया जाता है। उन्हें तमिल भाषा और साहित्य में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है।
अन्नादुराई के जीवन और कार्यों के बारे में कुछ अतिरिक्त विवरण
- वह तमिल लोगों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए काम किया।
- वह द्रविड़ आंदोलन के अग्रणी थे, जिसने भारत के द्रविड़ लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने की मांग की थी।
- वह एक प्रतिभाशाली वक्ता थे और उनके भाषण अक्सर बुद्धि और हास्य से भरे होते थे।
- वह एक विपुल लेखक थे और उन्होंने राजनीति, इतिहास और साहित्य सहित विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखीं।
- उन्हें तमिल इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है और उनकी विरासत आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
3 फरवरी, 1969 को, तमिलनाडु में 15 मिलियन से अधिक लोगों ने – एक अटूट विश्व रिकॉर्ड – पूर्व मुख्यमंत्री कोंजीवरम नटराजन अन्नादुराई की अंतिम यात्रा में भाग लिया। उनकी विचारधारा ब्राह्मणवाद विरोध, मूर्तिभंजन, समाजवाद, जातीय गौरव और नस्लीय अंधराष्ट्रवाद का एक घातक संयोजन थी।
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