इंदिरा गाँधी – Indira Gandhi पुण्यतिथि विशेष : 31 अक्टूबर

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी थी। इंदिरा गांधी वर्ष 1966 से वर्ष 1977 तक लगातार तीन बार भारत की प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गांधी भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही है।

पृष्ठभूमि

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। इंदिरा के पिता जवाहरलाल नेहरू और मां कमला नेहरू थी। इंदिरा के दादाजी मोतीलाल नेहरू भारत के एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे, साथ ही इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सदस्य थे और आजादी के बाद वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। स्कूली शिक्षा के बाद इंदिरा गांधी ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। इसके बाद इंदिरा ने आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।

यूनिवर्सिटीज में उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से होने लगी, जिसके बाद इंदिरा ने 16 मार्च, 1942 को इलाहाबाद में फिरोज गांधी से विवाह कर लिया। 1950 में गांधी ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक निजी सहायिका के रूप में काम किया। सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप मे हुई। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के कामराज ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया। इंदिरा ने 1975 में आपातकाल लागू किया। जिसके बाद इंदिरा 1977 के आम चुनाव हार गई। 1980 के इंदिरा एक बार फिर से सत्ता में वापस आई और पंजाब अलगाववादीयों के साथ द्वंद में फसी रही। सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षको द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या कर दी गई।

राजनीतिक सफर

इंदिरा गांधी सन् 1938 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई। 1947 में जब जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री का पद संभाला तब इंदिरा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू की सहायिका के रूप में कारभार संभाला। 1955 में इंदिरा कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य बनी। 1959 में इंदिरा को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया, 1964 में उन्हे राज्यसभा का सदस्य बनाया गया, उस समय लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे और इंदिरा को उनकी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया। 

प्रधानमंत्री के रूप में

जब जनवरी 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक मृत्यु हो तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज में इंदिरा गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया। पार्टी के कई सदस्यों ने इसका विरोध किया और गांधी की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मोरारजी देसाई ने 1667 में लोकसभा के चुनावो में एक सीट जीती और कांग्रेस पार्टी बहुत कम सीटों से चुनाव जीती, जिसके बाद इंदिरा प्रधानमंत्री और मोरराजी देसाई उपप्रधानमंत्री बने। धीरे-धीरे पार्टी के भीतर तनाव बढ़ने लगा और मोरारजी देसाई और अन्य लोगो को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद गांधी ने पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर एक नई पार्टी बनाई जिससे नई कांग्रेस पार्टी कहा गया। 

1971 में न्यू कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। इंदिरा गांधी ने 1971 के अंत में भारत की सशस्त्र सेना साथ मिलकर पाकिस्तान पर एक निर्णायक जीत हासिल की, जिसके परिणाम स्वरुप बांग्लादेश का निर्माण हुआ और इंदिरा नए देश को मान्यता देने वाली पहली सरकारी नेता बनी। 1972 के चुनावों में एक बार फिर इंदिरा ने विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में जीत हासिल की। कुछ समय बाद ही 1971 के राष्ट्रीय चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के पराजित प्रतिनिधित्व ने उन पर आयोग लगाया कि इंदिरा ने उस चुनावी प्रतियोगिता में चुनाव कानूनों का उल्लंघन किया है, जिसके बाद 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि गांधी अपनी सांसद सीट से वंचित हो जाएंगी और उन्हें लगभग 6 साल तक राजनीति से बाहर रहना पड़ेगा। उसके बाद इंदिरा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की, लेकिन उन्हें कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला और इंदिरा ने मामलों को अपने हाथों में लेते हुए पूरे भारत में आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी और अपने विरोधियों को जेल में डाल दिया और आपातकालीन शक्तियां ग्रहण कर ली। जिसके बाद गाँधी ने कई नए कानून बनाए, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सहमति हो गई। इस अवधि के बाद इंदिरा ने बड़े पैमाने पर कई अनुप्रिय नीतियां भी लागू की।

सत्ता गिरना और सत्ता में वापसी

2 साल बाद इस आपातकालीन शासन का विरोध होने लगा और 1977 की शुरुआत में उनके विरोधियों को रिहा कर गया। विरोधियों ने  कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने करने का निश्चय किया।  1977 में लंबे समय बाद राष्ट्रीय संसदीय चुनाव हुए और इंदिरा की पार्टी बूरी तरह से चुनाव हार गई।  जिसके बाद जनता पार्टी (वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी) ने देश की बागडोर संभाली और मोरारजी देसाई देश के नए प्रधानमंत्री बने।

1980 में एक बाद फिर लोकसभा चुनाव हुए और गांधी की पार्टी एक बार फिर भारी जीत के साथ सत्ता में वापस आई, इस चुनाव में उनके बेटे संजय गांधी उनके मुख्य राजनीतिक सलाहकार बने।  इस चुनाव में संजय ने भी लोकसभा से एक सीट जीती थी। जून 1980 में एक हवाई दुर्घटना में संजय गांधी की मृत्यु हो गई। संजय की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने अपने दूसरे बेटे राजीव गांधी को अपनी पार्टी के नेतृत्व के लिए तैयार किया।

1982 में संत जरनैल सिंह भिंड के नेतत्व में बड़ी संख्या में सिखों ने सिखों के सबसे पवित्र मंदिर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर पर कब्जा कर लिया और किलेबंदी कर दी। सरकार और सिखों के बीच तनाव बढ़ता गया, जून 1984 में इंदिरा गांधी ने भारतीय सेवा को हमला करने और सिखों को मंदिर परिसर से बाहर निकलने का आदेश दिया। इस लड़ाई में मंदिर की कुछ दीवारें बुरी तरह से टूट गयी और कम से कम 450 से  अधिक सिखों की मौत हो गई, घटना के 5 महीने बाद इंदिरा गांधी को नई दिल्ली में उनके बगीचे में अमृतसर में हुए हमले का बदला लेने के लिए उनके ही दो अंगरक्षकों में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद उनके बेटे राजीव गांधी नए प्रधानमंत्री बने। 

परिवार 

इंदिरा गाँधी के पिता जवाहरलाल नेहरू और माँ कमला नेहरू थी, इंदिरा गाँधी के दादाजी मोतीलाल नेहरू थे। इंदिरा गाँधी की शादी फिरोज गाँधी से हुई और इन दोनों के दो बेटे राजीव गाँधी और संजय गाँधी हुए। 

सम्मांन