मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन, जिन्हें आमतौर पर एम. एस. स्वामीनाथन (M.S. Swaminathan) के नाम से जाना जाता है, एक प्रख्यात भारतीय आनुवंशिकीविद् (Geneticist) और कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientist) हैं। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु, भारत में हुआ था। स्वामीनाथन को कृषि अनुसंधान और विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए "भारत में हरित क्रांति के जनक" (Father of Green Revolution in India) के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण देश में खाद्य उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई। चलिए, जानतें हैं भारत रत्न एम एस स्वामीनाथन के द्वारा दिए गए योगदानों के विषय में।
हरित क्रांति (Green Revolution) : स्वामीनाथन ने आधुनिक कृषि तकनीकों के साथ-साथ गेहूं और चावल की उच्च उपज वाली किस्मों को पेश करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप फसल की पैदावार में काफी वृद्धि हुई। इस आंदोलन ने भोजन की कमी को दूर करने में मदद की और खाद्य उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता में योगदान दिया।
फसल सुधार (Crop Improvement) : उन्होंने नई फसल किस्मों के विकास पर बड़े पैमाने पर काम किया जो बीमारियों, कीटों और पर्यावरणीय तनावों के प्रति अधिक प्रतिरोधी थीं। उनके शोध से फसल की पैदावार और किसानों की आजीविका में सुधार करने में मदद मिली।
पादप आनुवंशिकी (Plant Genetics) : स्वामीनाथन ने पादप आनुवंशिकी और प्रजनन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके काम ने फसल आनुवंशिकी और जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति की नींव रखी।
विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food Price) : खाद्य उत्पादन बढ़ाने और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें 1987 में विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय कार्य (International Works) : भारत के कृषि विकास में अपने योगदान के अलावा, स्वामीनाथन वैश्विक खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पहल और संगठनों में भी शामिल रहे हैं।
शैक्षणिक और संस्थागत भूमिकाएँ (Educational & Institutional Roles) : स्वामीनाथन ने विभिन्न शैक्षणिक और नेतृत्व पदों पर काम किया है, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक और प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना शामिल है।
एम. एस. स्वामीनाथन के काम का न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर कृषि पद्धतियों, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा है। किसानों के जीवन को बेहतर बनाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करने के प्रति उनके समर्पण के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता है।
उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1967 में 'पद्मश्री' वर्ष 1972 में 'पद्मभूषण' और वर्ष 1989 में 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया। 9 फरवरी, 2024 को भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया।