विनोद खन्ना एक भारतीय अभिनेता, निर्माता और राजनीतिज्ञ थे। खन्ना 1968 और 2013 के बीच 141 से अधिक फिल्मों में दिखाई दिए और उन्हें मेरे अपने, मेरा गांव मेरा देश, इम्तिहान, इंकार, अमर अकबर एंथोनी, लहू के दो रंग, कुर्बानी, दयावान और जुर्म जैसी फिल्मों में उनके प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है।
Vinod Khanna Biography
आरम्भ
विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पेशावर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम कमला खन्ना और पिता का नाम कृष्णचंद खन्ना था। भारत के विभाजन पश्चात् उनका परिवार पेशावर छोड़कर बंबई (वर्तमान मुंबई) चला गया।
करियर
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नकारात्मक भूमिकाओं से की थी। खन्ना 1968 में पहली बार ‘मेरे अपने’ नामक फिल्म में बतौर विलन दिखाई दिए। उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया। शुरू में वे सहायक व नकारात्मक भूमिका में दिखाई दिए लेकिन बाद में उन्होंने खुद को बॉलीवुड में बतौर लीड एक्टर स्थापित किया।
विनोद खन्ना की प्रसिद्ध फ़िल्में – Famous Films of Vinod Khanna
IMDb के अनुसार विनोद खन्ना की प्रसिद्ध फ़िल्में हैं।
- Qurbani (1980)
- Amar Akbar Anthony (1977)
- Mera Gaon Mera Desh (1971)
- Dayavan (1988)
- Hera Pheri (1976)
- Chandni (1989
- Muqaddar Ka Sikandar (1978)
- Lekin… (1990)
- Sachaa Jhutha (1970)
- Parvarish (1977)
व्यक्तिगत जीवन
विनोद की पहली पत्नी गीतांजलि तालेयारखान से कॉलेज में मुलाकात हुई जिसके बाद खन्ना ने 1971 में गीतांजलि से शादी कर ली। उनसे उनके दो बेटे हुए, राहुल और अक्षय; दोनों बॉलीवुड अभिनेता बन गए।
1975 में, वह ओशो के शिष्य बन गए और 1980 के दशक की शुरुआत में, रजनीशपुरम चले गए। 1982 में अपनी मां को खोने के बाद, खन्ना को भावनात्मक शून्यता महसूस हुई और वे अपने आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश के पास चले गए।
खन्ना और गीतांजलि ने वर्ष 1985 में तलाक ले लिया। 1990 में, भारत लौटने पर, खन्ना ने उद्योगपति शरयू दफ्तरी की बेटी कविता दफ्तरी से शादी की। इस शादी से उन्हें एक बेटा और एक बेटी हुई।
विरासत
27 अप्रैल, 2017 को उनका निधन हुआ। हालाँकि, आज विनोद खन्ना हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी फ़िल्मी विरासत नए कलाकारों व अभिनेताओं के लिए राह दिखती रहेगी। इसी विरासत को संजोने के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया जिनमे दो बार फिल्मफेयर और वर्ष 2017 में मरणोपरांत दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं।