ईश्वर यदि एक दरवाज बंद करता है, तो दूसरे कई दरवाजे खोल भी देता है। हमें संयम के साथ दूसरे दरवाजों को देखना चाहिए।
बचपन में हम सब एक खेल खेलते थे। खेल का नाम था-खो-खो। इस खेल में हम सब एक पंक्ति में विपरीत दिशा में चेहरा करके बैठ जाते थे। एक साथी पीछे से आकर हमें "खो" कहता, हम दौड़ कर दूसरे साथी को छूने की कोशिश करते। जिसे हम छू देते, वह खेल से बाहर हो जाता। बात खो की हो रही है। इससे बनने वाले शब्दें में खोना भी है। खोना यानी हमारे पास जो कुछ है उसमें से कुछ हिस्सा हमसे अलग होना। जिसे अब हम प्राप्त नहीं कर सकते। उसके खोने का दर्द हमें हमेशा सालते रहता है।
इंसान अपनी जिंदगी में बहुत कुछ खोता है। जैसे कभी माता-पिता, भाई बहन, दोस्त, रिश्तेदार तो कभी कोई शरीर का अंग ही खो देता है। लेकिन यह भी सच है कि जब भी हम कुछ खोते हैं, तो दूसरी और हम कुछ पाते भी हैं। वास्तव में खोने के बाद जो हमें प्राप्त होता है, उसका आनंद कुछ और ही होता है। मेरे एक साथी हैं, जो दुर्घटना में अपने एक आंख की रोशनी खो बैठे। एक आंख की रौशनी जाने के बाद वे डिप्रेशन में चले गए। धीरे-धीरे वे सहज होने लगे। अपना दोपहिया वाहन भी चलाने लगे। उन्होंने महसूस किया कि उनका एक कान कुछ अधिक ही संवेदनशील हो गया है। पीछे से आने वाले वाहन की सरसराहट को वे आसानी से महसूस करने लगे। पहले एक तरफ से आने वाले वाहनों से अक्सर उनकी टक्कर हो जाती, पर धीरे-धीरे उन्हें अपने एक कान के अतिसंवेदनशील होने की जानकारी हुई, तो वे अब कुशलता से दोपहिया वाहन चलाने लगे हैं। यह है खोने के बाद पाने का सुख। इसीलिए कहा गया है कि ईश्वर यदि एक रास्ता बंद करता है, तो दूसरे कई दरवाजे खोल भी देता है। हमें संयम के साथ दूसरे दरवाजों को देखना चाहिए। कौन-सा दरवाजा हमारे लिए उपयुक्त होगा, यह भी समझना चाहिए। तभी हम सफलता के द्वार को खोल पाएंगे। सूरदास ने आंखें खोई, तो हमें कृष्ण पर उत्कृष्ट साहित्य मिला। अरुणिमा ने अपने पांव खोए, तो हमें हिमालय पर चढ़ने का जज्बा मिला। उनके लिए कुछ खोना उनके साथ-साथ हमारे लिए भी वरदान बन गया।
इसलिए हमें खोने का बहुत गम नहीं करना चाहिए। खोने के बाद हमें जो कुछ भी नया मिल रहा है, उसका उपयोग करना सीखना चाहिए। बैसाखी पर चलने वालों के लिए वह एक सहारा ही नहीं, बल्कि एक हथियार भी है, अपनी रक्षा के लिए, जो उन्हें अनजाने में ही मिल गया। हमें किसी के भी खोने के गम में इतना अधिक शोक नहीं मनाना चाहिए कि उसके बदले में मिलने वाले अनेक अवसरों को हम भुला दें। खोना यानी कुछ नया पाने का एक जरिया है। इस जरिये को हमें संभालकर रखना है। यही जीवन की सच्चाई है।