आजकल कम उम्र में ही हार्टअटैक से मृत्यु के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसका प्रमुख कारण शारीरिक श्रम का अभाव और वे खाद्य पदार्थ जिनके सेवन से खून में खराब कोलास्ट्राल, ट्रायग्लासराइड की वृद्धि होती है। भविष्य में हार्ट अटैक से बचने के लिये निम्नलिखित पदार्थों के नियमित सेवन से अवश्य बचें, क्योंकि मोबाइल युग में ये पदार्थ कम उम्र से ही हृदय की महत्वपूर्ण खून नलिकाओं में धीरे-धीरे जमा हो उनको सकरा करने लगे हैं। इनके जमने की गति इन पदार्थों के सेवन और शारीरिक श्रम की मात्रा पर निर्भर रहती है।
Kam Umr Mein Heart Attack ya Bypass Surgery Se Bachen
शरीर का लीवर कोलास्ट्राल का निर्माण करता है। कोलास्ट्राल (Cholesterol) दो प्रकार का होता है। अच्छा एच.डी.एल. एवं बुरा एल.डी.एल.। अच्छा वाला कोलास्ट्राल (Good Cholesterol) बुरे वाले कोलास्ट्रॉल को धमनियों में जमने से रोकता है। दोनों कोलास्ट्राल की एक निर्धारित मात्रा होती है। यदि बुरे कोलास्ट्राल, ट्रायग्लासराइड (triglyceride) की मात्रा निर्धारित मात्रा से बढ़ जाये तो उसे सुधारना बेहद जरूरी है।
किन-किन खाद्य पदार्थ का सेवन घटा देने पर बुरे कोलास्ट्राल, ट्रायग्लासराइड की मात्रा कंट्रोल की जा सकती है, इसको जानें -
अंडे का सफेद भाग खाने से कोलास्ट्राल नहीं बढ़ता परन्तु अंडे का पीला भाग खाने से खराब कोलास्ट्राल तेजी से बढ़ता ही है और यह पीला भाग कब्ज का कारण भी बनता है।
आम जीवन में ये पदार्थ रोजमर्रा में हर घर में खाये जाते हैं। यह तेज गरम तेल में तले पदार्थ हैं जिनमें ट्रांसफेट की मात्रा (तेल के लगातार गर्म होते रहने के कारण) पैदा हो जाती है जो हार्ट की नलियों के लिये बेहद नुकसानप्रद हैं। इनका कम मात्रा में प्रतिदिन सेवन भी कभी-कभी घातक सिद्ध हो सकता है।
दूध को यदि बिना मलाई मक्खन निकाले सेवन किया जाये तो ऐसा दूध भी खराब कोलास्ट्राल को बढ़ाता है। इसी तरह लस्सी, आईसक्रीम भी नुकसानप्रद है।
जैसे खाद्य पदार्थ के सेवन से भी खराब कोलोस्ट्राल नलियों में जमता है। इन्हें भी प्रतिदिन नहीं खाना चाहिये।
ये पदार्थ चीज, मक्खन, मैदा के उपयोग के कारण हार्ट की नलियों में कोलास्ट्राल के जमाव का कारण बनते हैं। मैदा से कब्ज भी होती है। 6. फुलकी, आलूचाप, समोसा, पपड़ी - ये तेल में तले होने के कारण ट्राईग्लासराइड के लेबल को खून में बढ़ाते हैं जो हृदय के लिये हानिकारक है।
मक्खन एवं मैदा दोनों कोलास्ट्राल बढ़ाते हैं। मैदा ब्रेड से कब्ज भी होता है।
तेल, घी के कारण ये भी कोलास्ट्राल, ट्राईग्लासराइड को खून में बढ़ाते हैं।
अंडा, तेल, घी ये तीनों के सेवन से खराब कोलास्ट्राल लेबल खून में बढ़ता है। यदि इसमें वनस्पति घी का उपयोग हुआ है तो यह हृदय की धमनियों के लिये और ज्यादा हानिकारक हैं।
ये भी खराब कोलास्ट्रॉल के लेबल को खून में बढ़ाते हैं।
इनके सेवन से मस्तिष्क क को बिना अतिरिक्त श्रम के ग्लुकोज की प्राप्ति होती है - जिस कारण से खून में बह रहा वसा का उपयोग शक्ति प्राप्ति हेतु नहीं होता जिससे ब्लड में वसा जमा होने लगता है और यह हार्ट की नलियों में कोलास्ट्राल के जमाव को बढ़ाता है।
इसमें वनस्पति घी, तेल आदि का उपयोग होता है। इनका नियमित सेवन हानिप्रद है।
तले पदार्थ होने और लगातार गर्म होते तेल में बनने के कारण ये भी ब्लड में खराब कोलास्ट्राल को बढ़ाते हैं।
जलेबी चाहे खोवा की हो या मैदा की शक्कर एवं तेल के कारण खराब कोलास्ट्राल को बढ़ाती है।
अचार, पापड़ में नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है जो हाईब्लड प्रेशर का कारण बनती है जिससे हार्ट की नलियों को नुकसान पहुँचता है। पापड़ सेवन से कब्ज की शिकायत भी बढ़ती है जिससे खराब कोलास्ट्राल खून में बढ़ता है। अचार में तेल से शरीर में ट्राइग्लासराइड लेबल बढ़ता है जो हार्ट के लिये खराब माना गया है।
माँस-मटन, ये पदार्थ कब्जकारक तो होते ही हैं। शरीर में खराब कोलास्ट्राल को भी बढ़ाते हैं।
उपरोक्त खाद्य पदार्थ टी.वी., मोबाइल फोन और स्कूटर-कार के अत्याधिक उपयोग से (श्रमाभाव के कारण) शरीर के लिये हानिप्रद सिद्ध हो रहे हैं। अतः या तो शारीरिक श्रम बढ़ायें या इनका सेवन रोजमर्रा में घटायें। अच्छा कोलास्ट्राल बढ़ाने के लिये आलिव आयल, अखरोट, बादाम, मूँगफली, हरी पत्तेदार सब्जी, फलों का सेवन ईसबघोल की भूसी का गुनगुने पानी में घोलकर सेवन और प्रतिदिन 30 मिनिट तेज रफ्तार से टहलना चाहिये ताकि अच्छे कोलास्ट्राल एच.डी.एल. की वृद्धि हो सके और बुरे कोलास्ट्राल, ट्रायग्लासराइड निर्धारित मात्रा के अंदर आ सके।
ऐसा भी देखा गया तनाव, जलन, भय, चिंता से भी खराब कोलास्ट्रॉल बढ़ता है कुछ रोग जैसे सुगर, बी.पी., अनुवांशिक बीमारियाँ, थायराइड आदि भी हार्ट अटैक का कारण बनती है।