बाहर का खाना थियेटर के अंदर ले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने की एहम टिप्पड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिनेमाघरों में बाहर का खाना ले जाने से सम्बंधित मामले पर महत्पूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है की थियेटर में बाहर का खाना ले जाने से लोगों को रोका जा सकता है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ द्वारा की गई है।

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा है कि हॉल को सिनेमा देखने आए लोगों को मुफ्त में शुद्ध पानी देने की सुविधा मुहैया करानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है यदि फिल्म देखने आए किसी दर्शक के साथ नवजात शिशु है तो उनके लिए सिनेमा हॉल के अंदर खाना ले जाने की इजाज़त उनके माता-पिता को होनी चाहिए।

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
सुप्रीमकोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि सिनेमा देखने जाने वाले दर्शक अपने साथ खाने पीने का सामान ले जा सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट में याची की ओर से सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथ ने कहा है कि चूंकि सिनेमा हॉल प्राइवेट प्रॉपर्टी है ऐसे में वह एडमिशन राइट्स को प्रतिबंधित कर सकता है।

इस प्रतिबंध के पीछे उन्होंने सुरक्षा कारणों की ओर इशारा किया है। याची के वकील ने अपनी दलीलों को पेश करते हुए एयरपोर्ट का उदाहरण भी दिया। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा है जम्मू कश्मीर सिनेमा रूल्स 1975 (Jammu Kashmir Cinema Rules 1975) इस बात की इजाज़त नहीं देता कि सिनेमा देखने जाने वाले दर्शक अपने साथ खाने का सामान भी लेकर जाएं। सिनेमा हॉल में खाने का सामान खरीदना ज़रूरी नहीं है।

"हाई कोर्ट यह कैसे कह सकता है कि बाहरी खाना ले जाने की इजाजत होगी। अगर कोई जलेबी ले जाता है और अपने हाथ सिनेमा हॉल की सीट पर पोछता है फिर क्या होगा। कोई सिनेमा हॉल मालिक किसी दर्शक को बाध्य नहीं करता कि वह पॉपकोर्न खरीदे ही।"

सिनेमा हॉल निजी संपत्ति है
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा है सिनेमा हॉल प्राइवेट प्रॉपर्टी है और सिनेमा हॉल का मालिक विधायी प्रावधान के तहत अंदर आने की इजाज़त देता है। इस प्रावधान के तहत हथियारों को सिनेमाघरों के अंदर ले जाना सख्त मना है। साथ ही अंदर जाने से किसी को लिंग या जाती के आधार पर नहीं रोका जा सकता। लेकिन हाई कोर्ट ये कैसे कह सकता है कि बाहर का खाना अंदर ले जाने की इजाज़त होगी।

अगर कोई जलेबी ले जाता है और अपने हाथ सिनेमा हॉल की सीट पर पोछता है फिर क्या होगा। कोई किसी सिनेमा देखने वाले को इस बात के लिए बाध्य नहीं करता है कि वह पॉपकोर्न खरीदे ही। हम यहाँ साफ करना चाहते हैं कि सिनेमा हॉल में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाए और वह फ्री में हो।

सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणियाँ
प्रधान न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि एक सिनेमा हॉल के मालिक को खाने पीने की चीज़ों को विनियमित करने का पूरा अधिकार है।

•पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ने कहा है कि जो दर्शक फिल्म देखने आएं है ये उन पर निर्भर करता है कि वह उपलब्ध चीज़ों का उपभोग कैसे करते हैं और बताया है कि दर्शक मनोरंजन के लिए ही सिनेमा हॉल जाते हैं।

•पीठ ने कहा है कि सिनेमा घर निजी संपत्ति है और इसका मालिक निषेध के अधिकारों पर निर्णय ले सकता है। जलेबी को मूवी हॉल में ले जाने पर मालिक आपत्ति जता सकता है क्योंकि जलेबी खाने के बाद व्यक्ति कुर्सी से हाथ पोंछ कर उसे गंदा कर सकता है।

•पीठ ने यह भी कहा है कि मालिक ऐसे नियम और शर्ते रखने का हकदार है, जो वह उचित समझे और वह सार्वजनिक हित या सुरक्षा के खिलाफ ना हो।

•बेंच ने आगे कहा कि सिनेमा को प्रवेश आरक्षित करने का पूरा अधिकार है और सिनेमा मालिकों को अपने स्वयं के खाद्य और पेय पदार्थ बेचने का पूरा अधिकार है। पीठ ने कहा है कि न्यायालय कैसे कह सकता है कि वह हॉल के अंदर किसी भी तरह का खाना ला सकते है।

•पीठ ने कहा है कि सिनेमाघर में स्वच्छ पेयजल सभी के लिए उपलब्द्ध होना चाहिए। इसके अलावा नवजात बच्चों के माता पिता को उनके लिए उनका भोजन अंदर ले जाने की इजाज़त होनी चाहिए।

•शीर्ष अदालत ने कहा उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा का उल्लंघन किया है और मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों को निर्देश दिया की वह मूवी देखने वालों को अपने स्वयं के भोजन और पेय पदार्थों को मूवी हॉल में ले जाने से न रोकें।