आज दिवाली यानी माता महालक्ष्मी की पूजा का पावन पर्व है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान के साथ
माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली का
त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है।
दिवाली शुभ मुहूर्त (Diwali Shubh Muhurt)
23 अक्टूबर के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 06.04 मिनट तक थी। उसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ हो गई
है। आज शाम 05.28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और उसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो
जाएगी। 25 अक्टूबर, मंगलवार को अमावस्या शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी।
इस दिन भगवान श्रीगणेश व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी का
आशीर्वाद और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। ये पर्व लक्ष्मी जी को
समर्पित है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और
समृद्धि प्राप्त होती है। इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व माना जाता है।
मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की साधना-अराधना करने से सालभर तक आर्थिक तंगी नहीं रहती
और मां लक्ष्मी की कृपा से धन का भंडार भरा रहता है। इतना ही नहीं, इस दिन ऋद्धि-सिद्धि के दाता
और प्रथम पूजनीय गणपति की भी साधना की जाती है। जिनकी कृपा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते
हैं। दिवाली पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के अलावा धन के देवता कुबेर, माता काली और मां
सरस्वती की भी पूजा की जाती है।
शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी माना गया है। लक्ष्मी जी की कृपा से जीवन में
संपन्नता आती है। कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि दिवाली की रात शुभ मुहूर्त में पूजा करने
से लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्तत होती है। यही कारण है दिवाली की पूजा का लोगों को इंतजार रहता
है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि (Diwali Maa Lakshmi Pujan Vidhi)
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है। इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां
लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। पुराणों के
अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में
विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अंश रूप में ठहर
जाती हैं। इसलिए दिवाली पर साफ-सफाई करके विधि विधान से पूजन करने से माता महालक्ष्मी की
विशेष कृपा होती है। लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान इन बातों का
ध्यान दें।
दिवाली पर क्या करें ?
घर की साफ सफाई करें। प्रवेश द्वार पर घी और सिंदूर से ॐ या स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, रंगोली
बनाएं।
सायंकाल खीलें ,बतासे, अखरोट, पांच मिठाई, कोई फल पहले मंदिर में दीपक जला कर चढ़ाएं।
दिवाली वाले दिन मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदें।
एक नया झाड़ू लेकर किचन में रखें ।
लक्ष्मी गणेश पूजन करें।
बहियों, खातों, पुस्तकों, पैन, स्टेशनरी, तराजू , कंप्यूटर या वो वस्तु जिसे आप रोजगार के लिए प्रयोग
करते हैं उनकी पूजा करें।