कल यानी 21 मार्च 2023 को दिल्ली एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई थी। न्यूज़ रिपोर्टों से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक़ इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिन्दू कुश क्षेत्र रहा है। भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए थे। पाकिस्तान में यह झटके इस्लामाबाद, लाहौर और पंजाब में महसूस किए गए थे। अच्छी बात यह है कि भूकंप के तीव्र झटकों की वजह से भारत में कही भी जान माल का नुकसान नहीं हुआ।
सिस्मोलॉजी विभाग से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक़ रात 10:17 बजे कालाफगन में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यह क्षेत्र अफगानिस्तान से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत में उत्तराखण्ड में भूकंप के हलके झटके महसूस किए गए थे। इसके अलावा चमोली, उत्तरकाशी के गंगा घाटी, यमुनाघाटी, मसूरी, पंजाब के मोगा, बठिंडा, मानसा, पठानकोट, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, सहारनपुर, शामली और जयपुर में भूकंप के झटके महूसस किए गए।
भूकंप के दौरान आपका सावधान रहना बहुत ज़रूरी है। कुछ भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे तेज़ भूकंप आने की संभावना मिलती है। वहीं तेज़ रफ़्तार के भूकंप के आने की वजह से कुछ ही देर में हल चल मच जाती है। आपको भूकंप के आने के समय किसी भी तरह की कोई हलचल नहीं करनी चाहिए। आपको तब तक सावधानी बरतनी चाहिए जब तक भूकंप की रफ़्तार कम नहीं हो जाती।
भूकंप आने पर आपको घबराना नहीं है क्योंकि ऐसा होने पर आप अपने आपको सुरक्षित नहीं रख पाएंगे। ऐसे समय में आपको किसी मज़बूत फर्नीचर के नीचे बैठकर खुद को कवर कर लेना चाहिए। अगर इस दौरान आपके आस पास कोई टेबल या डेस्क नहीं है तो आपको अपने सिर और चहरे को बाहों से कवर केर लेना चाहिए। अगर आप बिस्तर पर हैं तो आपको अपने सिर को तकिए से कवर करने की कोशिश करनी चाहिए जिससे आपको कोई हानि ना हो। घर में उन सभी चीज़ों से दूर रहने की कोशिश करें जो कमज़ोर हैं और जो आसानी से गिर सकती हैं।
जब तक भूकंप की कम्पन बंद ना हो जाए तब तक घर से बाहर निकलने की कोशिश ना करें। भूकंप के दौरान लोगों को ज़्यादा चोटें तब लगती हैं जब वह इस दौरान घर से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। भूकंप आने के दौरान अगर आप बाहर हैं तो आपको इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीट लाइट्स और यूटिलिटी तारों से दूर रहना चाहिए। बाहर निकलने पर सबसे ज़्यादा खतरा इमारतों से होता है।
धरती के अंदर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद होती हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती है, रगड़ खाती है या एक दूसरे से दूर जाती है तब धरती में कम्पन होती है। यह कम्पन तेज़ भी हो सकती है और धीमी भी। इसी कम्पन को भूकंप कहा जाता है।
भूकंप की तीव्रता को मांपने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहा जाता है। इस स्केल पर 1 से 9 तक की रैंकिंग होती है। भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपिसेंटर से मापा जाता है। रिक्टर स्केल पर यदि भूकंप की तीव्रता 1 मापी जाती है तो इसका मतलब है भूकंप की रफ़्तार काफी कम है। वहीं अगर रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 9 मापी जाती है तो इसका मतलब है भूकंप की तीव्रता काफी ज़्यादा है। अगर रिक्टर स्केल पर भूकंप की रफ़्तार 7 मापी जाती है तो इसका मतलब है कि उसके आस पास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज़ झटके महसूस किए गए हैं।