अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाने के लिए सरकार ने मेला प्राधिकरण का गठन करके पांच सदस्यों को भी नियुक्त कर दिया है। प्राधिकरण का उपाध्यक्ष स्वामी ज्ञानानंद महाराज को बनाया है। इसके अलावा 48 कोस तीर्थ मानिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा का कार्यकाल भी दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को सूरजकुंड की तर्ज पर मनाने के लिए सरकार ने मेला प्राधिकरण का गठन किया है ताकि मेले का स्वरूप सूरजकुंड की तरह वृहद हो सके। इसको लेकर सरकार चार दिन पहले ही सदस्यों की नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी कर चुकी है। इस सूची में सबसे पहला नाम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित डा. बीआर आंबेडकर स्टडी सेंटर के सहायक निदेशक डा. प्रीतम सिंह का है। इसके बाद दूसरा नाम विजय नरुला का है। तीसरा पिहोवा से डा. अवनीत सिंह वहुँच, चौथा नाम फरीदाबाद गौरव अग्रवाल का है, जो एनआरआइ हैं। वहीं पांचवें कुरुक्षेत्र के सौरभ चौधरी हैं।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के ऊपर 48 कोस के तीर्थों का जीर्णोद्धार करने का जिम्मा है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की तैयारियों को लेकर तीन से चार माह पहले ही KDB सक्रिय होता है। बहुत बार तो ऐन मौके तक तैयारियां पूरी नहीं हो पाती थी। ऐसे में एक ऐसी कमेटी की जरूरत महसूस की जा रही थी जो केवल महोत्सव को मनाने को लेकर तैयारियां करें। यही वजह थी कि सरकार की ओर से इस कमेटी का गठन किया है।
48 कोस तीर्थ मानिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा का कार्यकाल भी दो वर्ष बढ़ाया गया है।
शहर की प्रमुख संस्थाओं ने गीता महोत्सव को अपने स्तर पर मनाना शुरू किया था। इनमें गौड़िया मठ, भारत सेवाश्रम संघ और जयराम आश्रम है। इसके बाद जिला प्रशासन ने इसे 1989 में मनाना शुरू किया था। इसका नाम गीता जयंती कुरुक्षेत्र उत्सव दिया था। 1992 में मेले के स्वरूप को और बढ़ाया गया। मेले में शिल्प और सरस मेले को भी जोड़ा गया। इसके बाद इस मेले का स्वरूप लगातार बढ़ता चला गया। अब अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को न केवल कुरुक्षेत्र बल्कि मारिशस, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भी मनाया जा चुका है।
श्रीलंका में महोत्सव का आयोजन 28 फरवरी से 6 मार्च तक आयोजित किया गया। इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान श्रीलंका पार्टनर कंट्री था।