ISKCON ने अमोघ लीला प्रभु को किया 1 महिने के लिए बैन

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10 जुलाई को, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन), जो कि भगवान कृष्ण के भक्तों के एक धार्मिक संगठन है, ने अपने सन्यासी भिक्षु अमोघ लीला दास पर उनके हालिया प्रवचनों के कारण रोक लगा दिया है। यह रोक एक महीने तक रहेगी।

दरअसल, अमोघ लीला दास द्वारा प्रवचन दिया जा रहा था। इस दौरान एक प्रश्न में भिक्षु अमोघ लीला दास ने मछली खाने के लिए स्वामी विवेकानन्द की आलोचना करके और यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी किसी जीवित प्राणी को नुकसान नहीं पहुँचा सकता। दास ने स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण की “जतो मत ततो पथ” (जितनी राय, उतने रास्ते) की शिक्षा पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि ”हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता है।”

इस आपत्तिजनक टिप्पणी की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक कड़वा विवाद खड़ा हो गया, जिस पर तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं।

इस्कॉन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अमोघ लीला दास (अमोघ लीला प्रभु) ने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में टिप्पणी करने की गलती स्वीकार कर ली है और वह अपनी गलती को सुधारने के लिए एक महीने के लिए सामाजिक जीवन से खुद को अलग कर लेंगे। अब अमोघ लीला दास के गोवर्द्धन में एक महीने तक प्रायश्चित करेंगे।

इस्कॉन ने अपने बयान में कहा कि वह अमोघ लीला दास की अनुचित और अस्वीकार्य टिप्पणियों और इन दो व्यक्तित्वों की महान शिक्षाओं के बारे में उनकी समझ की कमी से दुखी हैं।

जिसके बाद इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास ने अमोघ लीला दास को ‘तुरंत पब्लिक लाइफ से एक महीने के लिए हटने का कहा गया है’अब अमोघ लीला दास उत्तर प्रदेश के गोवर्द्धन में एक महीने तक प्रायश्चित करेंगे। 

क्या है ISCKON संस्था?

इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस), जिसे आम बोलचाल की भाषा में हरे कृष्ण आंदोलन या हरे कृष्ण के रूप में जाना जाता है, एक गौड़ीय वैष्णव हिंदू धार्मिक संगठन है। इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क शहर में ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी ‘प्रभुपाद’ द्वारा की गई थी। 

इसकी मूल मान्यताएँ हिंदू धर्मग्रंथों, विशेषकर भगवद गीता और भागवत पुराण पर आधारित हैं। इस संस्था के अनुयायी देश और विदेश में फैले हुए हैं। 

गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय, जिसे के रूप में भी जाना जाता है, भारत में चैतन्य महाप्रभु (1486-1534) से प्रेरित एक वैष्णव हिंदू धार्मिक आंदोलन है। “गौड़िया” बंगाल के गौरा या गौड़ा क्षेत्र (वर्तमान में पश्चिम बंगाल का मालदा जिला और बांग्लादेश का राजशाही जिला) को संदर्भित करता है, जिसमें वैष्णव का अर्थ ‘भगवान् विष्णु की पूजा’ से है।

ISCKON परंपरा में सन्यासी हैं अमोघ लीला दास 

सन्यास पूर्व अमोघ लीला प्रभु या अमोघ लीला दास का नाम आशीष अरोड़ा था, जिनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके परिवार में उनके माता-पिता और दो बहनें भी हैं। उन्होंने छोटी उम्र में ही आध्यात्मिक यात्रा पर जाने का फैसला किया।

सन्यास के बाद का नामअमोघ लीला दास
असली नामआशीष अरोड़ा
जन्म स्थानलखनऊ, उत्तर प्रदेश
व्यवसाय संत, प्रेरक समय, सामाजिक कार्यकर्ता।
शिक्षासॉफ्टवेयर इंजीनियर
धर्मसनातन (हिन्दू)
नागरिकताभारतीय
जन्मदिन1 जुलाई
पत्नी का नामविवाहित नहीं

वर्ष 2000 में, जब वह 12वीं कक्षा में थे, तो उन्होंने भगवान की तलाश में अपना घर छोड़ दिया, लेकिन फिर वापस आकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री पूरी की। 2004 में, उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अमेरिका स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में शामिल हो गए। 

फिर साल 2010 में 29 साल की उम्र में, वह एक समर्पित हरे कृष्ण ब्रह्मचारी (ब्रह्मचारी) बन गए और कॉर्पोरेट जीवन छोड़ने के बाद इस्कॉन में शामिल हो गए। जिस समय उन पर एक महीने का प्रतिबंध लगा, उस समय वह दिल्ली के द्वारका में इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।

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