हाल ही में अयोध्या, राम मंदिर के मुख्य पुजारी श्री सतेन्द्र दस जी का निधन हो गया है तभी से यह सवाल अयोध्या वासियों और भारतीयों के में घूम रहा है की अब पुजारी की नियुक्ति कैसी होगी, कौन नया पुजारी होगा?
इस मुद्दे पर की नया मुख्य पुजारी कौन होगा, श्री चंपत राय जी ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी है उनका कहना है कि श्रीराम मन्दिर में अब मुख्य पुजारी की नियुक्ति नही होगी।
श्री चंपत राय जी के बयान पर स्वामी राम शंकर की प्रतिक्रिया डिजिटल बाबा के नाम से मशहूर, श्रीरामकथा वाचक आध्यात्मिक गुरु स्वामी राम शंकर ने अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा कि चम्पत कह रहे हैं कि "श्रीराम मन्दिर में अब कोई मुख्य पुजारी की नियुक्ति नहीं होगी, तर्क यह दिया गया कि आज कल सब पुजारी युवा ही है ऐसे में मुख्य पुजारी किसे बनाएं? दूसरा तर्क यह सुनने में आया है कि पूर्व पुजारी जी के समान विद्वान कोई अन्य नहीं मिल रहा है। राम शंकर जी का कहना है कि उनका यह बात तर्कसंगत नहीं है प्रतीत हुई, उन्हें पूरे अयोध्या धाम में, काशी में, उत्तर प्रदेश में, आपको योग्य विद्वान नहीं मिल रहा? डिजिटल बाबा का कहना है कि चंपत जी यह सिद्ध करने की कोशिश कर रहें है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारत में योग्य ब्राह्मण ही नहीं है - भारत का ब्राह्मण विद्वता विहीन हो गया हैं।"
"डिजिटल बाबा ने आगे कहा है कि वे अपने योग्यता के माप-दंड तैयार कर, परीक्षा लें और सम्पूर्ण देश के विद्वान को आमंत्रित करें, इससे ज्ञात हो जाएगा कि कोई मुख्य पुजारी बनने योग्य है या नहीं। आगे वे कहते हैं, पर आप ऐसा क्यूँ करेगे आप स्वयं शासक बन कर मन्दिर का महंत बने रहना चाहते हैं, मैं पूछता हूँ इतने महत्वपूर्ण मन्दिर में एक मुख्य पुजारी क्यों न तैनात किया जाए? तैनात मुख्य पुजारी को उसकी योग्यता के अनुसार जीवन निर्वाह हेतु सम्मानजनक खर्च मंदिर कोष से देना मंदिर का दायित्व हैं। जब हर संगठन में मुखिया का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है फिर देश भर में लोकप्रिय श्रीराम मन्दिर में योग्यता सम्पन्न मुख्य पुजारी का होना मंदिर का अनिवार्य अंग हैं इससे श्री राम मंदिर की शोभा में वृद्धि होगा। पर सच यह है कि आप संगठन के लोग पुजारी लोगों को कर्मचारी बना कर अपने छतरी के नीचे रखना चाहते हैं। सारा काम तो विद्वान ब्राह्मण से ही करवाओगे पर उन्हें सम्मान देने में आप भयभीत हो रहे है कही मुख्य पुजारी का प्रभुत्व इतना न बढ़ जाये कि आप का एकाधिकार समाप्त हो जाए, चलिए जो आप कर रहे है उसका फल यहां नही तो वहां कही तो भोगेंगे ही…. आपके इस निर्णय से यह सिद्ध हो गया कि श्रीराम मन्दिर अब विद्वानों के द्वारा नहीं आप जैसे महानुभावों एवं ट्रस्ट के पदाधिकारियों के द्वारा संचालित होता हैं।"