आज के समय में आपने दुनिया में एक से एक अमीर लोगों को देखा होगा और उनकी रही थी के किस्से भी काफी
सुने होंगे लेकिन क्या आपने कभी किसी अमीर की कहानी पढ़ी है. जिसके पास धन तो बहुत ज्यादा था. जिस के
दरबार में दुनिया का अमीर से अमीर शख्स घुसने का मौका पाकर खुद को लकी समझता था. लेकिन कंजूसी में भी
नंबर एक पर जानने वाला इंसान. आज हम आपको कुछ ऐसा ही किस्सा सुनाने वाले हैं. कुछ ऐसे ही रहे इसकी
बातें बताने वाले हैं जिनके बारे में आप शंकर चौक जाएंगे. आज हम ऐसी बातें बताएंगे आपको जिस ने आजाद
भारत में अपनी कंजूसी की आदतों को सबको हैरान कर के रख दिया था यह शख्स हैदराबाद का शासक निजाम
था.
जब 1947 में देश आजाद हुआ था उस समय निजाम को धरती पर सबसे अमीर शख्स के तौर पर माना जाता था.
उस समय पूरी धरती पर उस शासक के बराबर पैसा चांदी सोना हीरे जेवरात किसी और शासक के पास नहीं था.
लेकिन कंजूस भरी उसकी जिंदगी देखकर लोग भी दंग रह गए. आज भी निजाम फैमिली के करोड़ों अरबों रुपए
विदेशी बैंकों में जमा है जिसको लेकर वंशज अदालतों में लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं लेकिन तब कंजूस नंबर वन पर
भी धावा एक-एक पैसा जमा करने के लिए नए-नए नुक्से लगाया करता था.
निजाम की कंजूसी का डेरा
मशहूर लेखक डोमीनिक लेपियरे और लहरी कॉलोनी किताब फ्रीडम मिडनाइट में लिखते हैं निजामी ओसमान अली
खान केवल 5 फीट 3 इंच के सहारे व्यक्तित्व के इंसान थे निजाम एक पढ़े लिखे इंसान थे साहित्य साहित्य पसंद
और धर्म परायण इंसान थे. उनके शासक में प्रजा थी करीब दो करोड़ हिंदू और 30 लाख मुसलमान शामिल.
निजाम उस वक्त भारत के राजाओं नवाबों में से सबसे विकट पहने जाने वाले शासक थे निजाम का एकमात्र देशी
शासक था जिन्हें आभारी अंग्रेजों ने एग्जॉल्टेड फाइनेंस के अंत उच्च पदवी दी थी.