दीन दयाल उपाध्याय (Deen Dayal Upadhyay) एक भारतीय दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक विचारक थे जिन्होंने भारत में राजनीतिक और वैचारिक विचार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारतीय जनसंघ के एक प्रमुख नेता थे। भारतीय जनसंघ एक दक्षिणपंथी राजनीतिक दल था जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में विकसित हुआ।
नाम | दीन दयाल उपाध्याय |
जन्म | 25 सितम्बर 1916 |
जन्म स्थान | नगला चंद्रभान, मथुरा, उत्तर प्रदेश |
पिता | भगवती प्रसाद उपाध्याय |
माता | रामप्यारी |
पेशा | राजनेता, लेखक |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | अध्यक्ष |
रचनाएं | राष्ट्र धर्म, पांचजन्य, स्वदेश, एकात्म मानववाद, लोकमान्य तिलक की राजनीति |
मृत्यु | 11 फरवरी, सन् 1968 ई. मुगलसराय |
उपाध्याय ने राजनीति में प्रवेश किया और एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े थे। वह 1937 में नाना जी देशमुख और भाऊ जुगाड़े के प्रभाव में आकर आरएसएस से जुड़े।
RSS शिक्षा विंग में अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, वह संघ के आजीवन प्रचारक बन गए।
1951 से 1967 तक भारतीय जनसंघ के महासचिव बने और बाद में 29 दिसंबर, 1967 को जनसंघ के अध्यक्ष बने। उनका कार्यकाल अल्पकालिक था और केवल 43 दिनों के बाद 11 फरवरी, 1968 को 52 वर्ष की आयु में रहस्यमय परिस्थितियों में उन्हें मुगल सराय में एक रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया। पंडित दीनदयाल की मृत्यु अभी भी अनसुलझी गुत्थी है।
उपाध्याय एक विपुल लेखक और विचारक थे। उन्होंने भारतीय राजनीती के बौद्धिक विमर्श में योगदान देते हुए राजनीति, अर्थशास्त्र और सामाजिक मुद्दों से संबंधित विषयों पर विस्तार से लिखा।
एकात्म मानववाद (Integral Humanism): राजनीतिक चिंतन में दीन दयाल उपाध्याय का सबसे महत्वपूर्ण योगदान "एकात्म मानववाद" की अवधारणा थी। उन्होंने लेखों और भाषणों की एक श्रृंखला में इस विचारधारा को रेखांकित किया। एकात्म मानववाद व्यक्ति, परिवार और संस्कृति के महत्व पर जोर देते हुए समाजवाद और पूंजीवाद के सर्वोत्तम पहलुओं को मिश्रित करना चाहता है। यह सामाजिक समरसता और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए विकेंद्रीकृत आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं का आह्वान करता है।
उपाध्याय की विरासत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैचारिक विकास में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके विचार, विशेष रूप से ‘एकात्म मानववाद’, बीजेपी की विचारधारा और नीति-निर्माण को आकार देने हेतु पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हैं।
उनका दर्शन भी अकादमिक अध्ययन और चर्चा का विषय बना हुआ है। दीन दयाल उपाध्याय के विचार और विचार भारतीय राजनीति के क्षेत्र में प्रभावशाली हैं और उन्होंने देश में दक्षिणपंथी राजनीतिक आंदोलन की विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दीन दयाल उपाध्याय का जीवन तब समाप्त हो गया जब 11 फरवरी, 1968 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का सटीक कारण बहस और अटकलों का विषय बना हुआ है।