भारत के फॉरेस्ट मैन ‘जादव पायेंग’ को पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। इन्होंने अपनी कई वर्षों की मेहनत से ब्रह्मपुत्र नदी के रेतीले मैदान को जंगल में बदल दिया है। अब ये उसकी देखभाल करते हैं। जादव पायेंग ने लगभग 4 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाकर माजुली द्वीप पर जंगल तैयार कर दिया है।
जादव पायेंग की जीवनी Jadav Payeng Biography
नाम | जादव पायेंग |
अन्य नाम | ‘मोलाई’ |
जन्म | 31 अक्टूबर 1959 |
जन्म स्थान | जोरहाट, असम, भारत |
पिता | लखीराम पायेंग |
माता | अफुली पायेंग |
व्यवसाय | वनपाल |
जीवनसाथी | बिनीता पायेंग |
बच्चे | 3 (मुमुनि, संजय, संजीव) |
पुरस्कार | पद्म श्री (2015) |
असम के जोरहाट जिले के रहने वाले जादव पायेंग ने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे 1,360 एकड़ का जंगल बनाया है। ऐसा करके उन्होंने न केवल हजारों जंगली जानवरों को घर मुहैया कराया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण भी पेश किया है। वह अब तक 4 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उन्हें साल 2015 में पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्होंने असम कृषि विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री भी प्राप्त की है।
कैसे बने ‘द फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ – How to become ‘The Forest Man of India’
1979 के दौरान असम में भयंकर बाढ़ आई थी। तब 16 साल के जादव ने देखा कि ब्रह्मपुत्र के तट पर कई जानवर मृत पाए गए थे। सैकड़ों मरे हुए सांप रेत पर आ गए थे और भूमि कटाव के कारण आसपास की सारी हरियाली नदी ने निगल ली थी। जिसके कारण वहां के पशु-पक्षियों ने अपना निवास स्थान खो दिया। इस घटना का जादव के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. तब उन्होंने निश्चय किया कि वह बहुत सारे पेड़ लगाएंगे और एक बड़ा जंगल बनाएंगे।
जादव पायेंग को उनके साहस और प्रकृति के प्रति अनुकरणीय योगदान के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया और उन्हें एक नया नाम फॉरेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया दिया गया। कनाडाई फिल्म निर्माता मैकमास्टर ने जादव पायेंग के जीवन पर ‘फॉरेस्ट मैन’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है। यह फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी और इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।
जादव पायेंग और मैक्सिकन सरकार के बीच हुए एक समझौते के तहत पायेंग को अगले दस साल तक मैक्सिको में रहना होगा, जहां वह आठ लाख हेक्टेयर जमीन पर पेड़ लगाएंगे. इसके लिए उन्हें मैक्सिकन सरकार ने दस साल का वीजा दिया है। अल्ट्रान्यूज प्रकृति प्रेमी जादव पायेंग के जज्बे को सलाम करता है।
पुरस्कार – Award
2012 में ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’
2015 में ‘पद्म श्री’