लेफ्टिनेंट जनरल योगेश जोशी का जन्म 5 जनवरी 1962 में हुआ था। वे पीवीएसएम , युवाईएसएम , एवीएसएम , वीआरसी , एसएम , एसडीसी भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जनरल ऑफिसर हैं । उन्होंने 1 फरवरी 2020 को लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह से पदभार ग्रहण किया था। उन्हें कारगिल युद्ध का नायक भी कहा जाता है।
जनरल जोशी का जन्म फरीदाबाद, हरयाणा में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा झाँसी और फरीदाबाद से की। उनके पिता श्री रामपाल जोशी रेलवे के लेखा विभाग में कार्यरत थे। आपको बता दें कि वे 60वें कोर्स के स्नांतक है और उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, (NDA ) खडकवासला, पुणे , महाराष्ट्र में किलो "के" स्क्वाड्रन आवंटित किया गया था । फिर बाद में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में भाग लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्हें 12 जून 1982 को 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स में नियुक्त किया गया।
जन्म | 5 जनवरी 1962 (आयु 62) |
शाखा/सेवा | भारतीय सेना |
रैंक | लेफ्टिनेंट जनरल |
सेवा के वर्ष | 12 जून 1982 - 31 जनवरी 2022 |
पुरस्कार | परम विशिष्ट सेवा पदक |
युद्ध | कारगिल युद्ध |
1999 में जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के दौरान सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा कर लिया था, उस वक्त भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, दुश्मनों से वह क्षेत्र खाली कराना। क्योंकि अधिक ऊंचाई पर होने की वजह से दुश्मन ऊपर से लगातार गोलियां बरसा रहे थे, तो वहीं भारतीय जवानों को दुर्गम रास्तों से होते हुए ऊपर की चढ़ाई चढ़ने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता था। ऐसे में तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा जमाना भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था।
अब बारी थी द्रास सेक्टर की तोलोलिंग पहाड़ी पर स्थित प्वॉइंट 5140 और प्वॉइंट 4158 को पाकिस्तानी सैनिकों से मुक्त कराने की। करगिल युद्ध के हीरो और 'ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव' सम्मान से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी को द्रास सेक्टर में प्वॉइंट 5140 और प्वॉइंट 4158 को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। हमला 15 जून को शुरू हुआ था। हमले से पहले दुश्मनों की ओर से भारी गोलाबारी की गई, जिसमें कमांडिंग ऑफिसर के घायल होने के कारण उन्हें चिकित्सा कारणों से हटना पड़ा।
पाकिस्तानी सैनिकों से द्रास सेक्टर की प्वॉइंट 5140 और 4128 को मुक्त कराना बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण था। कर्नल जोशी ने अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें लगातार आगे बढ़ते रहने के लिए उनका नेतृत्व किया। हमले का आदेश देने से पूर्व कर्नल जोशी ने स्वयं सभी पोजीशन का टोह लिया और फिर आगे रहकर अपनी बटालियन का कुशल नेतृत्व किया। दुश्मनों के पोजीशन का पूरी तरह से आंकलन करने के बाद कर्नल जोशी ने एक बेहतरीन रणनीति के तहत अपनी बटालियन को इस मिशन के लिए रवाना किया। इस ऑपरेशन में कारगिल युद्ध के शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा भी शामिल थे। कारगिल में उनके कमांडिग ऑफ़िसर कर्नल योगेश जोशी ने उन्हें और लेफ़्टिनेंट संजीव जामवाल को 5140 चौकी फ़तह करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
नायक देव प्रकाश : 5140 को मुक्त कराने की लड़ाई में नायक देव प्रकाश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नायक देव प्रकाश 13 जम्मू कश्मीर रायफल्स में सेक्शन कमांडर के पोस्ट पर तैनात थे। नायक देव प्रकाश को द्रास सेक्टर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पॉइंट 5140 पर हमला करने का काम सौंपा गया था। कमांडिंग अफसर से मिले आदेश के बाद उन्होंने बिना समय गंवाते हुए अपनी टुकड़ी को एकत्रित कर दुश्मन की चौकी के तरफ बढे। दुश्मनों से आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने वीरता का परिचय देते हुए 2 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया गया। जिससे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पॉइंट 5140 को फिर से मुक्त कराने में सफलता मिली।
वह कारगिल युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल थे । उन्होंने द्रास में जेएके रिफ की 13वीं बटालियन का नेतृत्व किया । उनकी बटालियन ने चार हमले किए, जिनमें से सबसे सफल प्वाइंट 4875 पर था जिसे अब कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर बत्रा टॉप कहा जाता है , जो कार्रवाई में शहीद हुए थे और उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था । बटालियन को 'बहादुरों में सबसे बहादुर' की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
कर्नल जोशी के कुशल नेतृत्व में उनकी बटालियन ने उत्तम युद्ध कौशल का परिचय देते हुए आखिरकार 20 जून 1999 सुबह साढ़े 3 बजे तक अपने मिशन को पूरा कर लिया था। पाकिस्तानी सैनिकों से प्वॉइंट 5140 को पूरी तरह से मुक्त करा लिया था। कर्नल जोशी को लेफ़्टिनेंट जामवाल से वो संदेश सुनाई दिया, 'ओ ये ये ये', जिससे पता चला कि जामवाल वहाँ पहुंच गए थे और अपने मिशन में कामयाब हो गए थे। थोड़ी देर बाद 4 बजकर 35 मिनट पर विक्रम बत्रा का भी सफलता कोड आ गया, 'ये दिल मांगे मोर'। ऑपरेशन विजय में कर्नल की जोशी की टीम ने 6 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। योगेश जोशी ने युद्ध के दौरान टाइगर हिल को कब्जा करने वाली टीम के कमांडिंग ऑफिसर की भी भूमिका निभाई थी। उस दौरान वह 13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल का हिस्सा थे।
कारगिल की जंग के दौरान ले. जनरल जोशी की बटालियन ने 2 परमवीर चक्र, 8 वीर चक्र और 14 सेना मेडल अपने नाम किया था। इनमें से उत्तम युद्ध कौशल और युद्ध के दौरान कौशल नेतृत्व के लिए लेफ़्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी को 'वीर चक्र' से सम्मानित किया गया था।