मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जलती आग को हवा देने का काम शहीद मदन लाल ढींगरा ने ही किया। राष्ट्रभक्ति की पारिवारिक परंपरा से न होते हुए भी मदन लाल ढींगरा ने इस राह को चुना, और 24 साल की अल्पायु में ही फांसी की सजा हो गयी।
नाम | मदन लाल ढींगरा |
जन्म | 18 सितम्बर 1883 |
जन्म स्थान | अमृतसर, पंजाब, अविभाजित भारत |
पिता | श्री दित्तामल ढींगरा |
शिक्षा | मैकेनिकल इंजीनियरिंग, लंदन कॉलेज |
पेशा | क्रांतिकारी |
महत्त्वपूर्ण कार्य | विलियम हट कर्जन वायली की लंदन में हत्या |
मृत्यु दण्ड | 17 अगस्त 1909, लंदन |
मदन लाल ढींगरा को साल 1904 में स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद लाहौर कॉलेज से मास्टर डिग्री करने के लिए भेज दिया गया। लेकिन यहां आकर मदन लाल ढींगरा क्रांतिकारी तत्वों के संपर्क में आ गये। तब इनके स्वंत्रता आंदोलन के संपर्क में आने के बाद राष्ट्रीयप्रेम की भावना और ज्यादा प्रबल हो गयी।
लाहौर कॉलेज में अध्यन्न करने के दौरान लंदन से जो कपड़ों का माल तैयार होकर भारत आता था, उसका मदन लाल ढींगरा ने पुरजोर विरोध किया। मदन लाल ढींगरा ने इसके लिए बगावत कर दी। कॉलेज प्रशासन ने इस उद्दंडता के लिए मदन लाल ढींगरा को ब्रिटिशर्स से माफी मांगने के लिए कहा गया। मदन लाल ढींगरा ने अपने इस कृत्य के लिए माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया।
कॉलेज से निकाले जाने के बाद मदन लाल ढींगरा अपने भाई की सलाह पर आगे की पढाई जारी रखने के लिए लंदन चले गए। लंदन में पढाई के दौरान ही मदनलाल ढींगरा वीर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आ गए। ये सभी लोग मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लंदन में ही अभियान चला रहे थे। इनके अभियान में शामिल होने के एक वर्ष पूर्व ही श्यामजी कृष्ण वर्मा ने ‘इंडिया हाउस’ की नींव रखी थी। इंडिया हाउस उस समय लंदन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का राजनीतिक क्रियाकलापों का केंद्र बन गया था। इसके कुछ समय बाद ही ढींगरा, सावरकर और उनके भाई के द्वारा स्थापित ‘अभिनव भारत मंडल’ के सदस्य बन गए। ऐसा कहा जाता है की वीर सावरकर ने ही मदन लाल ढींगरा को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था।
जुलाई 1909 में लंदन के इम्पीरियल इंस्टिट्यूट में इंडियन नेशनल एसोसिएशन की तरफ से ‘एट होम’ पार्टी का आयोजन किया गया। इस पार्टी में सर विलियम हट कर्जन वायली भी शामिल हुए थे। कर्जन उस समय भारत के राजनीतिक सलाहकार थे। ढींगरा ने उस पार्टी में कर्जन को पांच गोलियां मारी जिसमे 4 सही निशाने पर लगी। गोली लगने से कर्जन की उसी समय मृत्यु हो गयी।
मदन लाल ढींगरा को 17 अगस्त को फांसी की सजा सुनाई गयी। उस समय उनकी आयु महज 24 वर्ष थी। उनके शरीर को लंदन में ही दफना दिया गया था। साल 1976 में भारत सरकार के प्रयासों के कारण उनके अवशेष भारत वापस आ पाए। जिनका अमृतसर में अंतिम संस्कार किया गया।