भारत में 1962 की युद्ध को कोई भी भारतीय नहीं भूल सकता, और इस युद्ध के एक महान नायक थे मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh)। उन्होंने अपनी वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना का मान बढ़ाया, बल्कि अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान भी दिया।
मेजर शैतान सिंह का जन्म 1 नवंबर 1924 को राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन से ही सेना में शामिल होने का सपना था। भारतीय सैनिकों के प्रति उनके मन में एक गहरी श्रद्धा थी, और वे शुरू से ही अपने देश की सेवा में जुटने के लिए प्रेरित थे।
1962 का युद्ध भारतीय सेना के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना को चीन के आक्रमण का सामना करना पड़ा। शैतान सिंह ने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया और उन्हें अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में भी साहस और दृढ़ता से लड़ा।
जन्म | 1 नवंबर 1924 |
जन्म स्थान | राजस्थान |
व्यवसाय | भारतीय सैनिक |
पहला युद्ध | रेजांग ला की लड़ाई (1962) |
माता-पिता | हेम सिंह भाटी (पिता), श्रीमती जवाहर कुँवर (माता) |
पत्नी | शगुन कंवर |
बच्चे | नरपत सिंह |
पुरस्कार | परमवीर चक्र |
मेजर शैतान सिंह की वीरता विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र के रेजांग ला में दिखाई दी। यहां उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। शैतान सिंह और उनकी टुकड़ी ने 1962 के युद्ध में अद्वितीय साहस दिखाया, जबकि उन्हें भारी संख्या में चीनी सैनिकों का सामना करना पड़ा।
रेजांग ला में शैतान सिंह और उनके सैनिकों ने पूरी ताकत और साहस के साथ लड़ा, लेकिन अंततः मेजर शैतान सिंह शहीद हो गए। उनकी शहादत भारतीय सेना और पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गई।
मेजर शैतान सिंह की शहादत और वीरता को देखते हुए, उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र, भारत के सबसे उच्चतम युद्ध सम्मान से नवाजा गया। उनके साहस और बलिदान ने भारतीय सेना के शौर्य को एक नई ऊंचाई दी।