मिथिलेश्वर – Mithileshwar

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= मिथिलेश्वर - Mithileshwar

मिथिलेश्वर मुख्यतः कथाकार हैं। कहानी के साथ-साथ उपन्यास विधा को भी उन्होंने गंभीरता से अपनाया है तथा इन दोनों विधाओं में अनेक कृतियाँ दी हैं। मिथिलेश्वर का विषय-क्षेत्र मुख्यत: ग्रामीण जीवन है। प्रेमचंद और रेणु के बाद गाँव से सम्बद्ध कथा-लेखन में मिथिलेश्वर का नाम सबसे पहला है। वे सादगी के शिल्प में कहानी रचने वाले कथाकार हैं। शैली में आत्यंतिक सादगी उनकी पहचान बन चुकी है।

मिथिलेश्वर जीवनी – Mithileshwar Biography

जन्म31 दिसम्बर, 1950
पेशाउपन्यासकार
माता पितापिता-प्रो० वंशरोपन लाल,

जीवन-Life

मिथिलेश्वर का जन्म 31 दिसम्बर 1950 को बिहार के भोजपुर जिले के बैसाडीह नामक गाँव में हुआ। इनके पिता स्व० प्रो० वंशरोपन लाल थे।

इन्होने हिंदी में एम०ए० और पी-एच०डी० करने के उपरांत व्यवसाय के रूप में अध्यापन कार्य को चुना। दिसंबर 1981 से जून 1984 तक राँची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहे और फिर यूजीसी के टीचर फेलोशिप अवार्ड के तहत एच०डी० जैन कॉलेज, आरा आ गये। बाद में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय आरा (बिहार) के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में वरिष्ठ उपाचार्य (रीडर) रहे।

मिथिलेश्वर के पिता (प्रो० वंशरोपन लाल) भी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे; परन्तु उनकी असाध्य बीमारी ने मिथिलेश्वर के जीवन में आरंभ से ही कठिन संघर्ष के बीज बो दिये थे। भाइयों की शिक्षा-दीक्षा में होने वाले खर्च के अतिरिक्त अनेक बहनों की शादी में होने वाले खर्च ने मिथिलेश्वर को काफी परेशान किया। परिस्थितिवश स्वयं के वयस्क होते ही शादी की विवशता और फिर कई पुत्रियों का पिता हो जाना उनके संघर्षमय जीवन को और अधिक कठिन बनाने में योगदान ही देता रहा। इसके अतिरिक्त माँ की बीमारी और आरा शहर में नया घर बनाने की आवश्यकता ने मिथिलेश्वर को परेशान तो बहुत किया परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। मिथिलेश्वर के व्यक्तित्व निर्धारण में उनकी अनवरत संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा की अहम भूमिका है।

मिथिलेश्वर की माँ अपने जमाने की पढ़ी-लिखी महिला थी। कम ही शिक्षा में उन्होंने अच्छा ज्ञान अर्जित कर लिया था। फिर प्रोफेसर पति के संग-साथ ने उनकी समझ और सामाजिकता में काफी इजाफा किया था। मिथिलेश्वर अपने लेखक होने का काफी श्रेय अपनी माँ को देते हैं। माँ के निधन से वे बिल्कुल टूटे हुए से महसूस करने लगे थे। सारे संघर्षों के बीच पारिवारिक सद्भाव उन्हें संबल देते रहा है। चार बेटियों की माँ होने के बावजूद उनकी पत्नी रेणु स्वस्थ-सुरूप रही और हमेशा मिथिलेश्वर जी की हार्दिक सहयोगिनी; जिस कारण से मिथिलेश्वर ने कभी संघर्षों से हार नहीं मानी।

मिथिलेश्वर की रचनाएं

कहानी संग्रह

  1. बाबूजी -1976
  2. बंद रास्तों के बीच -1978
  3. दूसरा महाभारत -1979
  4. मेघना का निर्णय -1980
  5. गाँव के लोग -1981
  6. विग्रह बाबू -1982
  7. तिरिया जनम -1982
  8. जिन्दगी का एक दिन -1983
  9. हरिहर काका -1983 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  10. छह महिलाएँ -1984
  11. माटी की महक, धरती गाँव की -1986
  12. एक में अनेक -1987 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  13. एक थे प्रो० बी० लाल -1993
  14. भोर होने से पहले -1994 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  15. चल खुसरो घर आपने -2000 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  16. जमुनी -2001 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  17. एक और मृत्युंजय -2014 (लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद से)

संचयन एवं समग्र

  1. मिथिलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियाँ -1980 (विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी से)
  2. प्रतिनिधि कहानियाँ -1989 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  3. चर्चित कहानियाँ -1994 (सामयिक प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  4. 10 प्रतिनिधि कहानियाँ (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  5. मिथिलेश्वर की चुनी हुई कहानियाँ (अनन्य प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली से)
  6. मिथिलेश्वर : संकलित कहानियाँ -2010 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)
  7. मिथिलेश्वर की 19 प्रतिनिधि कहानियाँ (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली से)
  8. मिथिलेश्वर की सम्पूर्ण कहानियाँ (तीन खण्डों में) [इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, कृष्णानगर, दिल्ली-51 से)

उपन्यास

  1. झुनिया -1980 (पहले सरस्वती विहार प्रकाशन से, पुनः आलेख प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली से)
  2. युद्धस्थल -1981 (पहले सरस्वती विहार प्रकाशन से,[10] राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से पेपरबैक्स में-1994)
  3. प्रेम न बाड़ी उपजै -1995 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  4. यह अंत नहीं -2000 (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  5. सुरंग में सुबह -2003 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  6. माटी कहे कुम्हार से -2006 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  7. पानी बीच मीन पियासी – 2009
  8. तेरा संगी कोई नहीं – 2018
  9. संत न बांधे गांठड़ी – 2020

लोक एवं विचार साहित्य

भोजपुरी लोक कथाएँ -2008

  1. सृजन की जमीन
  2. साहित्य की सामयिकता -2005

बाल एवं नवसाक्षरोपयोगी साहित्य

  1. उस रात की बात -1993
  2. गाँव के लोग -2005
  3. एक था पंकज -2006 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)

आत्मकथात्मक

  1. पानी बिच मीन पियासी -2010 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
  2. कहाँ तक कहें युगों की बात -2011 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)
  3. जाग चेत कुछ करौ उपाई -2015 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)

संपादन

मेरी पहली रचना -2006 (विभिन्न विधाओं की पहली रचनाओं का अनूठा संकलन)

मित्र (वर्ष 2003 से अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका का संपादन)

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
विश्व कविता दिवस (World Poetry Day) – महत्व और इतिहास

विश्व कविता दिवस (World Poetry Day) – महत्व और इतिहास

Next Post
बीजेपी को नया अध्यक्ष चुनने में इतनी देर क्यों लग रही है

बीजेपी को नया अध्यक्ष चुनने में इतनी देर क्यों लग रही है

Related Posts
pCWsAAAAASUVORK5CYII= गुरदास मान - Gurdas Maan

गुरदास मान – Gurdas Maan

गुरदास मान (Gurdas Maan) पंजाब की एक मशहूर शख्सियत हैं। वे एक प्रसिद्ध गायक, अभिनेता हैं। उनकी प्रसिद्धि…
Read More
भारत के प्रखर राजनीतिज्ञ थे कांशीराम

कांशीराम – Kanshi Ram

राजनीती में ऐसे बहुत से राजनीतिज्ञ है जिन्होंने भारतीय राजनीति को प्रखर बनाने का महत्वपूर्ण काम किया है।…
Read More
Total
0
Share