1789 ई. में टीपू सुल्तान के विरुद्ध उन्होंने अंग्रेज़ों और निज़ाम का साथ दिया तथा तृतीय मैसूर युद्ध में भी भाग लिया। जिसके फलस्वरूप मराठों को टीपू के राज्य का एक भूभाग प्राप्त हुआ।
नाना फडणवीस जीवनी – Nana Fadnavis Biography
जन्म | 12 फ़रवरी, 1742 |
धर्म | हिन्दू |
पेशा | मराठा साम्राज्य के दौर में पेशवा के दरबार में प्रमुख मंत्री |
निधन | 13 मार्च, 1800 |
जीवन – Life
बालाजी जनार्दन भानु एक अत्यंत चतुर और प्रभावशाली मराठा मंत्री थे, जब पानीपत का तृतीय युद्ध लड़ा जा रहा था उस समय वे पेशवा की सेवा में नियुक्त थे। वह अपनी चतुराई और बुद्धिमत्ता के लिये बहुत प्रसिद्ध थे। 1800 ई. में नाना फडणवीस की मृत्यु हो गई थी। नाना फडणवीस ने रघुनाथराव (राघोवा) की पेशवा बनने की सारी कोशिशें नाकाम कर दी थीं। नाना फडणवीस का टीपू सुल्तान से भी युद्ध हुआ था। उन्होंने मराठा साम्राज्य की शक्ति को एक नेतृत्व के नीचे एकत्र करने का सफल प्रयास किया था।
पानीपत के तृतीय युद्ध के बाद 1773 ई. में नारायणराव पेशवा की हत्या करा कर उसके चाचा राघोबा ने जब स्वयं गद्दी हथियाने का प्रयत्न किया, तो नाना ने उसका विरोध किया। नाना फडणवीस ने नारायणराव के मरणोपरान्त उनके पुत्र माधवराव नारायण को 1774 ई. में पेशवा की गद्दी पर बैठाकर राघोवा की चाल विफल कर दी। नाना फडणवीस ,अल्पवयस्क पेशवा के मुख्यमंत्री बने और 1774 से 1800 ई. मृत्युपर्यन्त मराठा राज्य का संचालन करते रहे। अन्य मराठा सरदार, विशेषकर महादजी शिन्दे उसके विरोधी थे।
1796 ई. में नाना फडणवीस के कठोर नियंत्रण से तंग आकर माधवराव नारायण पेशवा ने आत्महत्या कर ली। तदउपरान्त राघोवा का पुत्र बाजीराव द्वितीय पेशवा बना, जो प्रारम्भ से ही नाना फडणवीस का प्रबल विरोधी था। इस प्रकार ब्राह्मण पेशवा और उनके ब्राह्मण मुख्यमंत्री में प्रतिद्वन्द्विता बढ़ती गई। परस्पर षड़यंत्र से मराठे 2 गुटों में विभाजित हो गए, जिससे पेशवा की स्थिति और भी कमज़ोर हो गई। इसके बावजूद नाना फडणवीस आजीवन मराठा संघ को एक सूत्र में बांधे रखने में समर्थ रहे।