पंडित शिवकुमार शर्मा- Pandit Shivkumar Sharma

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 भारतीय संतूर वादक, इनके पिता ने निश्चय किया की यह भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाएँ,  शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ-साथ एक अच्छे गायक भी थे।

जीवन एवं शिक्षा

इनका जन्म जम्मू में पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ, पिता द्वारा गायन और तबला बजने की शिक्षा घर से हुई, उस समय इनकी उम्र मात्र 5 वर्ष थी, केवल 17 वर्ष की आयु में पंडित जी ने अपने पिता के स्वप्न- भारतीय संगीत को संतूर पर बजना को पूरा किया, इन्होनें मुंबई में अपनी प्रथम प्रस्तुति राग यमन में दी। 

जन्म 13 जनवरी 1938, जम्मू कश्मीर 
मृत्यु10 मई 2022, मुंबई (84 वर्ष)
पिताउमा दत्त शर्मा 
पत्नी मनोरम शर्मा 
सन्तान राहुल, रोहित 
व्यवसाय संगीतकार 
वाद्ययंत्र तबला, संतूर 
सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार(1986), पद्म  विभूषण, सर्वश्रेष्ठ हिन्दुस्तानी एलबम-वाद्य संगीत के लिए GIMA पुरुस्कार(2001), पद्म श्री (1991)

पंडित जी के दो पुत्र हुए, राहुल और रोहित, दोनों पुत्रों ने क्रमशः संतूर और सितार सीखा, अपने एक साक्षात्कार में पंडित जी ने बताया की उन्होनें अपने शिष्य के रूप में राहुल को चुना। 

कार्य-क्षेत्र

पंडित शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता से संतूर सीखा और आगे चलकर 1960 में अपनी प्रथम एकल एलबम प्रस्तुत की, इन्होनें तबला वादक ज़ाकिर हुसैन के सहयोग में भी कार्यक्रमों तथा एलबम में काम किया है, पंडित जी ने हरप्रसाद चौरसिया तथा गिटार वादक ब्रिज भूषण काबरा के साथ कान्सेप्ट एलबम, “कल ऑफ दी वेली” 1967 में भी काम किया है।  

वी शांतराम जी की मूवी – “झनक झनक पायल बाजे” 1957 में पृष्ठभूमि संगीत दिया, आगे पंडित जी ने चौरसिया जी के साथ मिलकर कई मूवीज में संगीत दिया, इन्हीं ‘शिव-हरि’ के रूप में ख्याति मिली। 

इन्होनें 1965 में लता मंगेशकर जी के प्रसिद्ध “मो से छल किया जाए” गीत में तबला बजाय है। 

शास्त्रीय संगीत मनोरंजन की वस्तु नहीं है, यह आपको ध्यान की और ले जाता है, “ये महसूस करने की चीज़ है”

पंडित जी बॉलीवुड संगीत की बजाए शास्त्रीय संगीत की ओर ही अधिक रहे। 1968 में इन्होनें अपना प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम लॉस एंजिल्स में किया। 

13 जनवरी का इतिहास

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