प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee), भारत के 13वें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती गांव में जन्मे मुखर्जी का जीवन शिक्षा, संघर्ष और सफलता की एक अद्भुत कहानी है। इसके साथ ही उनके उत्तराधिकारी राम नाथ कोविंद द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
प्रणब मुखर्जी का बचपन साधारण लेकिन शिक्षाप्रद वातावरण में बीता। उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की और कानून में भी स्नातक किया। शिक्षा के प्रति उनकी लगन और रुचि ने उन्हें एक मजबूत नींव प्रदान की।
जन्म | 11 दिसंबर 1935 |
जन्म स्थान | पश्चिम बंगाल |
व्यवसाय | भारत के 13वें राष्ट्रपति |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पत्नी | सुव्रा मुखर्जी |
निधन | 31 अगस्त 2020 |
पुरस्कार | भारत रत्न(2019), पद्मा विभूषण (2008) |
1969 में प्रणब मुखर्जी ने भारतीय संसद में पहली बार कदम रखा और राज्यसभा के सदस्य बने। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी। इसके बाद उन्होंने वित्त, रक्षा, विदेश और वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया।
2012 में प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति बने। इस पद पर उन्होंने न केवल संविधान की रक्षा की, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा, प्रौद्योगिकी और सामाजिक कल्याण के लिए कई पहल की।
प्रणब मुखर्जी एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें भारतीय राजनीति और प्रशासन के गहन विश्लेषण शामिल हैं। उनके योगदान के लिए उन्हें 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
31 अगस्त 2020 को प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक ऐसे स्तंभ थे, जिनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं। उनकी कहानी हर भारतीय के लिए एक मिसाल है।