एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, निदेशक, सचिव और नीति निर्माता – प्रो० यश पाल, ‘टर्निंग पॉइंट’ से मिली लोकप्रियता – A senior scientist, director, secretary and policy maker – Prof. Yash Pal | Popularity gained from turning point
प्रो० यशपाल भारतीय विज्ञान परम्परा के शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल हैं। यश पाल ने विज्ञान के लोकप्रियकरण और भारतीय समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास हेतु नैसर्गिक तौर पर जो भी योगदान दिया, वे सब उनके मन से निकले सरोकार थे और उन बातों को उन्होंने स्वयं महसूस किया था। जानतें हैं इनके व्यक्तित्व के विषय में –
नाम | यशपाल |
जन्म | 26 नवंबर 1926 |
जन्म स्थान | झंग (अब पाकिस्तान) |
शिक्षा | एमएससी (भौतिक विज्ञान), पीएचडी(भौतिक विज्ञान) |
अनुसंधान क्षेत्र | कॉस्मिक किरण और कण भौतिकी |
पुरस्कार | पद्म भूषण(1976), पद्म विभूषण(2013) |
मृत्यु | 25 जुलाई 2017, नोएडा (यूपी) |
संघर्षों से भरा था जीवन – Life was full of struggles
प्रो यशपाल का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। बचपन में ही परिस्थितिवश माता पिता से अलग भाई बहन के साथ रहना पड़ा। क्वेटा (बलूचिस्तान) में इनका आरंभिक जीवन व्यतीत हुआ। इस जगह उनके पिता ब्रिटिश शासन में भारत सरकार के लिए नौकरी करते थे। कुछ समय बाद इनके पिता का तबादला जबलपुर के लिए हो गया। इनके साथ ही यशपाल को भी यहां आना पड़ा। आगे की शिक्षा इन्होंने यहीं से पूरी की। पंजाब विश्वविद्यालय से बीएससी था पंजाब विश्वविद्यालय के दिल्ली स्थित फिजिक्स ऑनर्स कॉलेज से उन्होंने 1949 में एमएससी पूरी की।
स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक – Director of Space Applications Center
भारत के अंतरिक्ष वास्तुकार विक्रम साराभाई के असामयिक निधन के बाद 1972 में सतीश धवन को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनका स्पष्ट तौर पर मानना था कि अंतरिक्ष कार्यक्रम के अनुप्रयोगों से भारत की आम जनता को लाभ मिलना चाहिए। साराभाई इस सोच को साकार करने की पृष्ठभूमि तैयार कर चुके थे और सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (एसआईटीई) की शुरूआत कर दिया था जो एक वर्ष की अवधि के लिए भारत के गांवों में टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाला था।
1972 में स्पेश एप्लीकेशंस सेंटर (SAC) की स्थापना उपरोक्त उद्देश्य के साथ अहमदाबाद में की गई। टीआईएफआर छोड़कर SAC का निदेशक पद ग्रहण करने और SITE कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सतीश धवन ने यशपाल को राजी कर लिया
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान – Contribution in the field of education
यश पाल का शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान है। यश पाल की प्रतिभा से भारतीय समाज को व्यापक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 1983 में उन्हें योजना आयोग का मुख्य सलाहकार बनाया।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किए जाने के उद्देश्य से उन्हें 1986 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग University Grants Commission (UGC) का चेयरमैन नियुक्त किया।
यूजीसी चेयरमैन बनने के बाद यश पाल ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की पहल के रूप में चार महत्वपूर्ण कदम उठाए। पहला इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (Inter University Accelerator Center), नई दिल्ली, दूसरा इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स Inter University Center for Astronomy and Astrophysics, पुणे; तीसरा इंफार्मेशन एंड लायब्रेरी नेटवर्क(Information and Library Network) की स्थापनाएं कीं।
धारावाहिकों में भी निभाई है भूमिका – He has also played a role in serials
टर्निंग प्वाइंट के लगभग 150 धारावाहिकों में यश पाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद वह ‘भारत की छाप’, ‘तर-रम-तू’ और ‘रेस टू सेव दि प्लैनेट’ जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों में भी नजर आए। सूर्य ग्रहण (1995 और 1999) और शुक्र पारगमन (2004) जैसी आकाशीय घटनाओं के समय यशपाल टीवी पर अपने अनोखे अंदाज में दर्शकों को वैज्ञानिक जानकारी प्रस्तुत करते रहे।
सादगी भरा जीवन था पसंद – Liked a simple life
कंधों पर लहराते बड़े-बड़े सफेद बाल, रंगीन कुर्ता, उस पर हॉफ जैकेट और होंठों पर सुखद मुस्कान लिए हुए यही उनका व्यक्तित्व था। इसी से उनका व्यक्तित्व और निखार जाता था।
व्यक्तित्व से सम्बंधित यह लेख अगर आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना न भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।