राहुल सांकृत्यायन एक भारतीय लेखक थे। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था, जिस कारण उनका लेखन भी बहुभाषी था। सांकृत्यायन भोजपुरी, हिंदी, संस्कृत, पाली, मगही, उर्दू, फ़ारसी, अरबी, तमिल, कन्नड़, तिब्बती, सिंहली, फ्रेंच और रूसी सहित कई भाषाएँ समझते थे । फिर भी उनकी अधिकतर रचनाएं हिंदी व भोजपुरी में हैं। राहुल सांकृत्यायन को कई विद्वान “भारतीय यात्रा वृतांत के जनक (Father of Indian Travelogue)” भी मानते है।
राहुल का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को हुआ था। उनका मूल नाम केदारनाथ पांडे रखा गया था, जो उन्हें जन्म के समय मिला था। बौद्ध धर्म में आस्था होने के कारण उन्होंने अपना नाम बदलकर राहुल रख लिया। ‘संकृति’ गोत्र होने के कारण उन्हें सांकृत्यायन कहा गया। उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ के पंदाहा गांव में वे जन्में थे। राहुल सांकृत्यायन की शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी किन्तु उन्हें अपनी बाल-पत्नी संतोषी के बारे में कभी कुछ पता नहीं चला। जीवन के अंत में, उन्होंने कमला सांकृत्यायन से शादी की, जो एक भारतीय लेखिका, संपादक और हिंदी और नेपाली की विद्वान थीं। सांकृत्यायन दंपत्ति की दो संतानें हुईं। एक पुत्र – जेता और एक पुत्री जया सांकृत्यायन। 14 अप्रैल, 1963 को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
राहुल सांकृत्यायन की जीवनी – Rahul Sankrityayan Biography in Hindi
नाम | राहुल सांकृत्यायन |
बचपन का नाम | केदारनाथ |
जन्म | 9 अप्रैल, 1893 |
जन्मस्थान | पन्दहा,आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 14 अप्रैल, 1963 |
पिता | पण्डित गोवर्धन पाण्डे |
उपाधि | महापण्डित |
प्रमुख रचनाएँ | घुमक्कड शास्त्र, मेरी लद्दाख यात्रा, वोल्गा से गंगा, मेरी जीवन यात्रा |
भाषा | सहज, स्वाभाविक एवं व्यावहारिक हिन्दी भाषा |
शैली | वर्णनात्मक, विवेचनात्मक एवं व्यंग्यात्मक शैली |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएं | यात्रा वृत, कहानी, रेखाचित्र, आत्मकथा, जीवनी |
भारतीय यात्रा वृतांत के जनक (Father of Indian Travelogue)
राहुल सांकृत्यायन को कई विद्वान “भारतीय यात्रा वृतांत के जनक (Father of Indian travelogue)” भी मानते है। उन्होंने कई स्थानों की यात्रा की और कई यात्रा वृतांत लिखे। वह भारत के सबसे अधिक यात्रा करने वाले विद्वानों में से एक थे। वह अपने यात्रा अनुभवों के प्रामाणिक विवरण के लिए जाने जाते हैं। घुमक्कडी उनका स्वाभाव था।
अपने अनुभवों के आधार पर घुमक्कड़ों की सुविधा के लिए एक ग्रन्थ ही लिखा जिसका नाम है – ‘घुमक्कड शास्त्र‘। घुमक्कडी से उन्होंने अथाह ज्ञान एवं विलक्षण अनुभव प्राप्त किए थे। वे औपचारिक शिक्षा को उतना महत्व नहीं देते थे जितना घुमक्कड़ी से मिलने वाली शिक्षा को। ‘वोल्गा से गंगा’ उनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक है। वोल्गा से गंगा वस्तुतः राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखित 20 ऐतिहासिक गैर-काल्पनिक लघुकथाओं का एक संग्रह है। एक घुमक्कड़ के रूप में, सांकृत्यायन ने रूस, कोरिया, जापान, चीन और कई अन्य सुदूर देशों की यात्रा की, जहाँ उन्होंने इन देशों की भाषाओं में महारत हासिल की और सांस्कृतिक अध्ययन के विशेषज्ञ बने।
इसके अतिरिक्त राहुल सांकृत्यायन की यात्राओं से सम्बंधित अन्य पुस्तकें हैं –
- तिब्बत में सावा वर्षा (1933)
- मेरी यूरोप यात्रा (1935)
- अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा
- एशिया के दुर्गम भुखंडो में
- यात्रा के पन्ने
- किन्नर देश में
सम्मान राहुल सांकृत्यायन को उनकी पुस्तक ‘मध्य एशिया का इतिहास’ के लिए उन्हें 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और उन्हें सन् 1963 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
विकिपीडिया के अनुसार, उनकी साहित्यिक कृतियां हैं –
कहानियाँ
- सतमी के बच्चे
- वोल्गा से गंगा
- बहुरंगी मधुपुरी
- कनैला की कथा
उपन्यास
- बाईसवीं सदी
- जीने के लिए
- सिंह सेनापति
- जय यौधेय
- भागो नहीं, दुनिया को बदलो
- मधुर स्वप्न
- राजस्थान निवास
- विस्मृत यात्री
- दिवोदास
- सप्तसिन्धु
यात्रा वृत्तांत
- मेरी जीवन यात्रा
- मेरी लद्दाख यात्रा
- किन्नर प्रदेश में
- रूस में 25 मास
- यूरोप यात्रा
जीवनियाँ
- सरदार पृथ्वीसिंह
- नए भारत के नए नेता
- बचपन की स्मृतियाँ
- अतीत से वर्तमान
- स्टालिन
- लेनिन
- कार्ल मार्क्स
- माओ-त्से-तुंग
- घुमक्कड़ स्वामी
- असहयोग के मेरे साथी
- जिनका मैं कृतज्ञ
- वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली
- सिंहल घुमक्कड़ जयवर्धन
- कप्तान लाल
- सिंहल के वीर पुरुष
- महामानव बुद्ध
यात्रा साहित्य
- लंका
- जापान
- इरान
- किन्नर देश की ओर
- चीन में क्या देखा
- मेरी लद्दाख यात्रा
- मेरी तिब्बत यात्रा
- तिब्बत में सवा वर्ष
- रूस में पच्चीस मास
- विश्व की रूपरेखा
- ल्हासा की ओर
- शांतिनिकेतन में
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