राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्वतंत्रता के बाद प्रथम भारतीय हैं जिन्होंने रजत पदक जीता। वे एक पूर्व सैन्य अधिकारी, खिलाड़ी और भारतीय राजनीतिज्ञ हैं राज्यवर्धन राठौड़ १६वीं लोकसभा में जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गये।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जीवन परिचय – Rajyavardhan Singh Rathore Biography
जन्म | 29 जनवरी 1970 |
चुनाव क्षेत्र | जयपुर ग्रामीण |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
व्यवसाय | खिलाड़ी(निशानेबाज़), राजनीतिज्ञ |
जीवन – Life
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जन्म 29 जनवरी 1970 में जैसलमेर में एक शिक्षा के घर हुआ। वे शूटिंग के अलावा कई खेलों में दिलचस्पी लेते थे, एक आम भारतीय पुरुष होने के नाते उनका भी रुझान क्रिकेट, केवल गली क्रिकेट ही नहीं वह रणजी ट्रॉफी में भी अपना स्थान सुनिश्चित कर चुके थे। अपनी माता जी के कहने के बाद उन्होंने क्रिकेट छोड़ के नेशनल डिफेन्स अकेडमी (NDA) में सिलेक्शन होने के बाद क्रिकेट छोड़ दिया।
इसके बाद जल्द ही वे इंडियन अकादमी में भी जॉइन हो गए। वे कारगिल युद्ध अभियान के दौरान जम्मू और कश्मीर में भी तैनात थे। एनडीए और भारतीय सेना के साथ अपने समय के दौरान भी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने खेल में शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने एनडीए के सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘ब्लेज़र’ को जीता, इसके बाद वो सिख रेजीमेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित किए गए, जो इंडियन आर्मी ऐकेडमी में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को मिलता है
1998 में उनके शूटिंग खेल करियर से भारतीय सेना को प्रभावित किया जिसके बाद 28 साल वे सेना में रहे। ‘मेजर’ राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2002 में मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेलों में अपने आगमन की घोषणा गोल्ड जीत कर की। जहां उन्होंने 192 के नए खेल रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण जीता, ये वो रिकॉर्ड जो आज तक बरकरार है। उन्होंने डबल ट्रैप पेयर्स में एक और स्वर्ण अपने नाम किया।
एक लंबे इंतज़ार के बाद 2003 विश्व चैंपियनशिप में भारत को 40 वर्ष के बाद एक कांस्य पदक दिया। एथेंस 2004 ओलंपिक से पहले इस जवान ने पूर्व विश्व चैंपियन लुका मारिनी और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता रसेल मार्क से ट्रेनिंग लेते हुए कुद को तैयार किया, यहां तक कि अपने बंदूक निर्माता माउरो पेराज़ी के साथ मिलकर काम करने के लिए वो इटली चले गए।
एथेंस में उनको पहले क्वालिफिकेशन राउंड से गुजरना था, पाँचवें रैंकिंग वाले इस खिलाड़ी ने फाइनल में जगह बनाई थी। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को पोडियम पर अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने के लिए चीनी जोड़ी वांग झेंग और हू बियानु आन और स्वीडिश शूटर हाकन डाहलबी से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
अपनी तमाम सफलताओं के बाद 2006 में उन्होंने राष्ट्रीय मण्डल खेल में अपना व्यक्तिगत डबल ट्रैप स्वर्ण पदक डिफेंड किया। पद्म श्री विजेता ने 2003 से 2006 तक एशियाई क्ले टारगेट चैंपियनशिप में लगातार चार स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया। 2011 में एशियाई क्ले टारगेट चैंपियनशिप में उन्होंने अपने आखिरी स्वर्ण पदक को हासिल करने के लिए 194 का स्कोर बनाया जो कि विश्व रिकॉर्ड बना। यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स मिनिस्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ अब भारत के नए, युवा प्रतिभाओं को खोजने में मदद कर रहे हैं।