राव बहादुर महादेव गोविंद रानडे (Rao Bahadur Mahadev Govind Ranade) का नाम भारतीय समाज सुधारकों में अग्रणी स्थान रखता है। वे न केवल एक महान समाज सुधारक थे, बल्कि एक विद्वान, न्यायप्रिय और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। उनका जीवन भारतीय समाज के विकास और सुधार के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना है।
महादेव गोविंद रानडे का जन्म 18 जनवरी 1842 को पुणे में हुआ था। वे एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका प्रारंभिक शिक्षा जीवन काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा को महत्वपूर्ण माना और उसे प्राप्त किया। वे स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई में मेधावी थे। रानडे ने 1862 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और फिर उन्होंने एक वकील के रूप में कार्य शुरू किया।
जन्म | 18 जनवरी 1842 निफाड, नासिक जिला, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र, भारत) |
मृत्यु | 16 जनवरी 1901 (उम्र 58 वर्ष) बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र, भारत) |
नागरिकता | ब्रिटिश भारतीय |
अल्मा मेटर | बॉम्बे विश्वविद्यालय |
व्यवसाय | विद्वान, समाज सुधारक, लेखक |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पत्नी | रमाबाई रानाडे |
जाने जाते | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सह-संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं |
महादेव गोविंद रानडे ने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों और रूढ़िवादिता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक करने और सुधारने के लिए कई आंदोलनों की शुरुआत की। रानडे के विचार और उनके काम समाज में व्याप्त अंधविश्वास, बाल विवाह, और सती प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ थे। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए भी कार्य किया।
नकी प्रमुख पहल थी "अखंड भारत" और भारतीय समाज के पुनर्निर्माण की दिशा में उनका योगदान। उन्होंने भारतीय समाज को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना था कि भारतीय समाज को केवल आधिकारिक राजनीतिक स्वतंत्रता से अधिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता की आवश्यकता थी।
महादेव गोविंद रानडे ने 'सत्यवागी' नामक एक पत्रिका का प्रकाशन भी किया, जिसमें वे समाज सुधार, शिक्षा, और भारतीय संस्कृति के महत्व के बारे में लिखते थे। उनका उद्देश्य था कि समाज के हर वर्ग तक जागरूकता पहुंचे और वे अपनी स्थिति सुधारने के लिए आगे बढ़ें। रानडे ने मराठा समुदाय को भी जागरूक करने की कोशिश की और उनके सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास किए।
महादेव गोविंद रानडे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य भी थे। उन्होंने कांग्रेस के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। वे कांग्रेस के उन नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में सुधार की दिशा में काम किया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया।
महादेव गोविंद रानडे का निधन 16 जनवरी 1901 को हुआ। उनके योगदान को भारतीय समाज हमेशा याद रखेगा। वे न केवल एक महान समाज सुधारक थे, बल्कि एक सशक्त विचारक, शिक्षक और प्रेरणा स्त्रोत भी थे। उनकी जीवन यात्रा ने समाज को दिशा दी और भारतीय समाज के सुधार के लिए एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया।
राव बहादुर महादेव गोविंद रानडे का योगदान भारतीय समाज में सदैव अविस्मरणीय रहेगा, और उनके विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। उनके कार्यों ने समाज को प्रगति की दिशा दिखाई और उन्हें भारतीय समाज सुधार के पथप्रदर्शक के रूप में याद किया जाएगा।