आम आदमी के खास व्यंग्यकार, अपनी चित्रकला से आम आदमी की भावनाओं और संवेदनाओं को चित्रों के माध्यम से उकेरते हैं आर.के.लक्ष्मण (Rasipuram krishnaswami laxman), जिसमें राजनीति का चुट, जनता का पुट साफ़ दिखाई देता है।
आर. के. लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मयसूर में हुआ था, प्रारम्भिक शिक्षा नगर निगम विद्यालय से हुई, आम बच्चों की तरह वह कक्षा को नहीं बल्कि कक्षा के बच्चों को निरीक्षण करना अधिक पसंद था, कई बार अध्यापकों को भी एक निरीक्षक की नज़र से देखते थे। उन्होंने अपने अध्यापक का डूडल एक टाइगर के बच्चे जैसा बनाया, जिससे पूरी कक्षा में एक कुसफुसहट होने लगी, अध्यापक से उस टकराव के बाद आर. के. लक्ष्मण के व्यंग्यचित्रण की समझ विकसित हुई। हालांकि बाद में एक चित्र को लेकर उनकी सराहना भी की गई।
जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिल होने के लिए आवेदन के बाद वहाँ उन्हें निराशाजनक उत्तर मिला।
विडंबन हुई, सालों बाद जब वे "टाइम्स ऑफ इंडिया" के कार्यालय में थे, तब जे.जे. स्कूल के डीन अपने स्कूल के समारोह में एक गेस्ट के रूप में उनसे आने का निवेदन करते हैं।
जन्म | 24 अक्टूबर 1921, मयसूर |
मृत्यु | 26 जनवरी 2015, पुणे |
विवाह | कमला लक्षण |
माता | कृषणस्वामी अय्यर |
पिता | ज्ञानमबल |
व्यवसाय | कार्टूनिस्ट, इलस्ट्रैटर |
सम्मान | पद्म भूषण(1973 ),पद्म विभूषण(2005), पुन पंडित अवॉर्ड(2012) |
चेन्नई जाते समय मुंबई में उन्हें कुख्यात कालबादेवी गोलीकांड,सांचार-पत्र बलिट्ज़ में, एक कार्टून स्ट्रिप बनाने का मौका मिला। एक फ्री प्रेस संपादक से उनकी मुलाकात में उन्हें एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य करने का मौका मिल, उनकी साथ की डेस्क पर बाल ठाकरे मौजूद थे।
मुंबई में “द टाइम्स ऑफ इंडिया” के उन्होंने एक कॉमिक स्ट्रिप बनाया- “यू सेड इट”। आर. के. लक्ष्मण का - “द कॉमन मैन” हमेशा व्यंग्यप्रधान और मज़ाकिया रहा मगर ज़हरीला कभी नहीं हुआ।
“मैं एक कलाकार बनना चाहता था। मुझे लगा कि अंकगणित, ज्यामिति, भूगोल, भाषाएँ सीखना मेरे स्वाभाविक लक्ष्य में बाधा बन रहा है, जैसे बाज़ार के चौराहे पर अपनी स्केच बुक के साथ बेंच पर बैठना, लोगों को देखना और अपने अनुभवों को रिकॉर्ड करना।”
रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण का जीवन परिचय - Rasipuram Krishnaswami Laxman Biography
आरके लक्षण के निबंध, लघु कथाएँ, लेख, उपन्यास और आत्मकथा (ए टनल ऑफ ए टाइम: एन ऑटबाइआग्रफी) आदि प्रकाशित हुई है।द डिस्टॉर्टेड मिरर (2003) में संकलित किया गया। उन्होंने द होटल रिवेरा (1988) और द मैसेंजर (1993)
“मैंने कहा कि मैं उस डीन का आभारी हूँ जिसने सालों पहले जे.जे. स्कूल का संचालन किया था, क्योंकि उसने मेरा आवेदन अस्वीकार कर दिया था। अगर मुझे स्वीकार कर लिया गया होता और मैंने कला में डिप्लोमा प्राप्त कर लिया होता, तो शायद मैं वह कार्टूनिस्ट नहीं बन पाता जो मैं बन गया हूँ।”
रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण का जीवन परिचय - Rasipuram Krishnaswami Laxman Biography