शकीला बानो भोपाली का नाम भारतीय संगीत और कव्वाली की दुनिया में एक चमकते सितारे के रूप में जाना जाता है। भोपाल की मिट्टी में जन्मी, शकीला बानो ने अपनी कला और गायन के जरिए अपने नाम को एक अलग पहचान दिलाई। उनकी आवाज़ में जो कशिश और गहराई थी, वह श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती थी।
शकीला बानो का जन्म भोपाल में हुआ। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही संगीत की दुनिया में कदम रखा। पारंपरिक गज़लों और कव्वालियों से उन्होंने अपना सफर शुरू किया। उनके गायन में एक अनोखी आत्मीयता थी जो उन्हें बाकी गायिकाओं से अलग बनाती थी।
जन्म | 1942 |
जन्म स्थान | भोपाल |
व्यवसाय | भारतीय संगीत और कव्वाली |
पत्नी | सुव्रा मुखर्जी |
निधन | 16 दिसंबर 2002 |
शकीला बानो ने कव्वाली को एक नया आयाम दिया। उनके प्रस्तुत किए गए गीतों में न केवल धार्मिक भावनाएं झलकती थीं, बल्कि वे समाज की समस्याओं को भी उजागर करती थीं। उनकी मशहूर कव्वालियों में से "दमादम मस्त कलंदर" और "छाप तिलक सब छीनी" ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया।
शकीला बानो का सफर आसान नहीं था। एक महिला के रूप में कव्वाली की दुनिया में जगह बनाना उस समय बड़ा मुश्किल काम था। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से हर चुनौती का सामना किया। उनकी आवाज़ ने न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी लोगों का दिल जीता।
शकीला बानो भोपाली ने अपने पीछे एक ऐसी धरोहर छोड़ी है जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जिंदा है। उनकी कव्वालियां और गज़लें आज भी सुनने वालों को सुकून और प्रेरणा देती हैं।
शकीला बानो का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर जुनून और हिम्मत हो, तो इंसान किसी भी क्षेत्र में अपना नाम बना सकता है। उनके जैसा साहस और समर्पण शायद ही कहीं देखने को मिले।